शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव : मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को दी मंजूरी

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 34 साल से नहीं बदली गई थी देश की शिक्षा नीति

नई दिल्ली। शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह बदलना है। अब उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक संस्था होगी। हालांकि, त्रिभाषा फॉर्मूला को जारी रखा गया है। इसके अलावा मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। नया अकादमिक सत्र सितंबर-अक्टूबर में शुरू होने जा रहा है और सरकार का प्रयास पॉलिसी को इससे पहले लागू करने का है।1 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति की समीक्षा की थी। पूर्व इसरो चीफ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया है। कुछ राज्यों में हिंदी को लागू किए जाने को लेकर चिंता है, लेकिन एचआरडी मंत्रालय ने इसे दूर करने का भरोसा दिया है। शिक्षा क्षेत्र के सुधारों की पीएम मोदी की ओर से समीक्षा के बाद सरकार ने कहा था कि सरकार का उद्देश्य सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा में सुधार लाना है। एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम लाया जाएगा जिसका फोकस कई भाषाओं, 21वीं सदी की कुशलता, खेल और कला आदि के समावेश पर होगा।
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबनेट के फैसले पर प्रेस ब्रीफिंग करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने 21वीं सदी को देखते हुए नई शिक्षा को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 34 वर्षों से शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है।प्रेस ब्रीफिंग के दौरान हायर एजुकेशन सेक्रेटरीअमित खरे ने कहा, शिक्षा में कुल जीडीपी का अभी करी 4.4 फीसदी खर्च हो रहा है, लेकिन उसे 6 फीसदी करने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी और इंग्लिश भाषाओं के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्सेज होगा। वर्चुअल लैब बनाई जाएगी इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम बनाया जा रहा है।

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