जम्मू कश्मीर से फिर उठी कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का सच सामने लाने की आवाज, सियासी दल भी कर रहे समर्थन
जम्मू . फिल्म द कश्मीर फाइल्स के बाद कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन और आतंकी हिंसा को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के बीच सच्चाई को सामने लाने के लिए जांच आयोग के गठन की मांग एक बार फिर उठने लगी है। इसके लिए कोई ट्रुथ एंड रिकांसिलेशन कमीशन तो कोई जांच आयोग और श्वेतपत्र लाने की बात कर रहा है। इस सभी दल प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से इसका समर्थन करने लगे हैं। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, भाजपा और माकपा सभी इस मुद्दे पर एक-दूसरे से सहमत नजर आ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने वर्ष 2011 में सबसे पहले कश्मीर में आतंकी हिंसा व अलगाववाद के कारणों का पता लगाने, कश्मीर में आतंकी हिंसा के पीडि़तों को इंसाफ दिलाने के लिए ट्रुथ एंड रिकांसिलेशन कमीशन के गठन का विचार दिया था। उन्होंने कहा था कि इसमें पाकिस्तान को भी शामिल किया जाना चाहिए।फिल्म द कश्मीर फाइल्स 1989-90 के दौरान व इसके बाद के कुछ वर्षों में कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं पर इस्लामिक जिहादियों के अत्याचार और आजादी के नारे के नाम पर उन्हें कश्मीर से खदेड़े जाने की घटनाओं पर आधारित है। इस फिल्म के कारण कश्मीर की एक कड़वी सच्चाई, जिसे सभी दबाने का प्रयास करते रहे हैं, अब पूरी तरह सार्वजनिक हो चुकी है। इससे जम्मू कश्मीर की सियासत में खूब हलचल हो रही है। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी इस फिल्म के बाद एक तरह से बचाव की मुद्रा में हैं क्योंकि आतंकी हिंसा शुरू होने के समय जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस सत्ता में थी, जबकि पीडीपी के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्र में गृहमंत्री थे। उस समय केंद्र में भाजपा के समर्थन के आधार पर वीपी सिंह की सरकार थी।नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने गत दिनों दिल्ली में द कश्मीर फाइल्स फिल्म को कश्मीरी हिंदुओं की पीड़ा की आड़ में भाजपा पर सांप्रदायिक सियासत करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा था कि जब कश्मीरी हिंदुओं का विस्थापन हुआ तब मैं मुख्यमंत्री नहीं था और उस समय राज्यपाल शासन लग चुका था। मेरे विरोध के बावजूद स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद की रिहाई के लिए चार आतंकियों को रिहा किया गया। उस समय भाजपा के सहयोग से केंद्र में वीपी सिंह प्रधानमंत्री थे। इसलिए आतंकी हिंसा के कारणों, कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन व बाद की घटनाओं को लेेकर एक श्वेतपत्र लाया जाना चाहिए। एक जांच आयोग बनाया जाए जो असलियत को सबके सामने लाए। फिर पता चलेगा कि कौन निर्दाेष है और कौन दोषी।