हार्ट अटैक के इन लक्षणों की न करें अनदेखा, नहीं तो पड़ सकता है भारी
सीने के असहनीय दर्द को दिल का दौरा (हार्ट अटैक) की पहली चेतावनी माना जाता है। हालांकि, यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बर्मिंघम के हालिया अध्ययन की की बत करें तो ब्रिटेन में हर साल सामने आने वाले हार्ट अटैक के 50 फीसदी केसों में, मरीज को सीने में दर्द नहीं होती। ज्यादातर केसों में मरीज को सुस्ती, थकान या कमजोरी की समस्या सताती है, जिसे परिजन बुखार, तनाव या अस्वस्थ खानपान का साइडइफेक्ट समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
जेरोम मेंट की अगुवाई में हुए रिसर्चकर्ताओं ने ब्रिटेन में साल 2019 में दर्ज किए गए हार्ट अटैक के करीब एक लाख से अधिक मामलों पर रिसर्च किया। इस दौरान ये लोग हार्ट अटैक से पहले दिखने वाले लक्षणों का ब्योरा जुटाया। सभी आंकड़ों पर नजर दौड़ाने पर पता चला कि लगभग 50 हजार मामलों में दिल का दौरा पड़ने से पहले मरीज को सीने में दर्द महसूस ही नहीं हुआ।
एक नजर ‘एसएमआई’ पर- सामान्य हार्ट अटैक की तरह ही ‘एसएमआई’ में भी धमनियों में फैट या कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण हृदय में खून का प्रवाह ठप पड़ जाता है। इससे कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और वे दम तोड़ने लगती हैं।
नजरअंदाज करना घातक- रिसर्चकर्ताओं ने स्पष्ट करते हुए बताया कि ‘एसएमआई’ दिल की गिरती सेहत का संकेत है। इसे नजरअंदाज करने से व्यक्ति धमनियां जाम होने की समस्या घातक रूप अख्तियार कर सकती है। मोटापे, डायबिटीज, शारीरिक सक्रियता में कमी और परिवार में हृदयरोग के इतिहास से ‘एसएमआई’ का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
इन लक्षणों को हल्के में न लें- हृदयरोग विशेषज्ञों ने हर वक्त थकान, सुस्ती, कमजोरी महसूस होने की शिकायत को हल्के में न लेने की सलाह दी है। उन्होंने चलने-फिरने में होने वाली दिक्कत को भी लेकर सतर्क हो जाने के लिए कहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह के लक्षण उभरने पर व्यक्ति को दिल की सेहत की जांच जरूर करवानी चाहिए।
जान जाने का जोखिम कम-विशेषज्ञों की मानें तो ‘एसएमआई’ का इलाज सामान्य दिल के दौरे जैसा ही होता है। मरीज को धमनियों में जमे थक्के निकालने वाले दवाएं खिलाई जाती हैं। उन्हें ऐसी दवाएं भी दी जाती हैं, जिनसे रक्तप्रवाह के दौरान हृदय पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। भविष्य में थक्के जमने से रक्त प्रवाह में बाधा न उत्पन्न हो, इसके लिए मरीजों की एंजियोप्लास्टी कर उनकी धमनियों में ‘स्टेंट’ भी डाली जाती है।
संकट- डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 1.79 करोड़ लोगों की जान हर साल हृदयरोगों से जाती है। दुनिया में विभिन्न कारणों से होने वाली कुल मौतों का यह आंकड़ा 31% के करीब है।