सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एमसीआई के पास आरक्षण देने की शक्ति नहीं
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला देते हुए सोमवार को कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के पास किसी भी विशेष राज्य में स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए इन-सर्विस उम्मीदवारों के लिए आरक्षण देने की कोई शक्ति नहीं है। मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए प्रवेश का एक अलग चैनल तैयार करने में सक्षम है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी सुझाव दिया कि कंडिडेटों को ग्रामीण और पहाड़ी एलाके में लगभग पांच साल की सेवा जरूर देनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के इन पांच जजों की पीट ने न्यायधीश अरुण मिश्रा, इंदिरा बनर्जी, विनीत सरन, एम. आर. शाह और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि एमसीआई संविधान की सूची 1 की प्रविष्टि 66 के तहत निर्माण की हुई संस्था है और इसका काम चिकित्सा शिक्षा के मानकों को बनाए रखना है। संविधान पीठ ने कहा कि पीजी मेडिकल कोर्सेज में इन-सर्विस उम्मीदवारों के लिए आरक्षण प्रदान करने वाला एमसीआई, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट के अधिकार के परे (अल्ट्रा वायर्स) है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्णय भविष्य से लागू होगा और इसकी वजह से पहले से हुए दाखिले प्रभावित नहीं होंगे। पीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें पीजी मेडिकल कोर्स में इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए नियम बना सकती हैं। वहीं पीठ ने वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से मामले को तय करने में संविधान पीठ की मदद करने के लिए भी सभी अधिवक्ताओं का आभार भी प्रगट किया।