भारत ने विदेशी विश्वविद्यालयों के खुल सकेंगे कैंपस

भारत ने विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए अपने दरवाजे खोले

नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान नई शिक्षा नीति के तहत भारत ने अब विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय अब देश में अपने कैम्पस खोल सकेंगे। इससे प्रतिभा पलायन को रोकने में मदद मिलने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी खासी बढ़त मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 34 साल बाद नई शिक्षा नीति की घोषणा के तहत यह फैसला लिया गया है।उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे नेबताया कि सरकार विश्व के सर्वोच्च रैंक वाले विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस खोलने का अवसर देगी। बताया जाता है कि सरकार के इस फैसले के पीछे यह तथ्य भी काम कर रहा है कि हर साल साढ़े सात लाख छात्र विदेश पढ़ने जाते हैं। ऐसा करने के लिए वह विदेश में अरबों डॉलर की मोटी रकम खर्च करते हैं।हालांकि इस फैसले के आलोचकों का यह भी कहना है कि सर्वोच्च श्रेणी के विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर क्यों खोलना चाहेंगे, जब भारत सरकार ने अपनी नई शिक्षा नीति के तहत फीस की अधिकतम सीमा निर्धारित कर दी है। यानी अब विश्वविद्यालय मुंह मांगी रकम नहीं बटोर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि देश के वामपंथी नेताओं समेत पीएम मोदी भी पूर्ववर्ती सरकारों के विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अनुमति देने के प्रयासों का विरोध करते रहे हैं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं।

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