आकड़े बताते हें की 700 अस्पतालों के पास फायर एनओसी नहीं
दिल्ली के चार बड़े अस्पताल के ब्लॉकों के भी नाम
नई दिल्ली! अहमदाबाद के नवरंगपुरा इलाके के कोविड-19 अस्पताल में आग लगने से आठ मरीजों की हुई दर्दनाक मौत की घटना के बाद दिल्ली के अस्पतालों की जानकारी लेने पर खुलासा हुआ है कि यहां के कई प्रमुख अस्पताल समेत 700 छोटे-बड़े अस्पतालों/नर्सिंगहोम के पास फायर विभाग की एनओसी नहीं है।फायर विभाग की एनओसी नहीं होने की श्रेणी में दिल्ली के चार बड़े सरकारी अस्पतालों के कुछ ब्लॉक और यूनिट शामिल हैं।
दिल्ली अग्निशमन विभाग सूत्रों की मानें तो इसमें जीटीबी, एलएनजेपी, आरएमएल और सफदरजंग अस्पताल शामिल हैं। इनकी इमारत के ब्लॉक या यूनिट में खामी व अन्य कारणों से दमकल विभाग द्वारा अभी तक गैर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्रदान नहीं किए गए हैं। इनमें से तकरीबन सभी अस्पतालों में कोविड मरीजों का इलाज होता है। इतना ही नहीं यहां रोजाना बड़ी संख्या में आए मरीजों का इलाज भी किया जाता है, लेकिन इमारत के कई हिस्सों में एनओसी नहीं होने के बावजूद भी अस्पताल का संचालन किया जा रहा है।राजधानी के करीब 700 से ज्यादा छोटे निजी नर्सिंगहोम और अस्पतालों को भी दमकल की एनओसी (गैर अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं मिली है। लिहाजा वहां आग लगने की स्थिति में जान-माल की बड़ी क्षति की आशंका है। ये अस्पताल विभाग द्वारा तय मानकों को पूरा नहीं करते अथवा रिहायशी इलाके में बने हैं। असुक्षित होने के बावजूद सभी अस्पताल बेधड़क चल रहे हैं और रोजाना वहां हजारों की संख्या में मरीजों का इलाज भी चल रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, अस्पतालों को आग से सुरक्षा का प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए अलग-अलग 20 से ज्यादा मानक तय हैं। यदि एक भी मानक कम होता है तो उस परिसर को आग से सुरक्षित नहीं माना जाता।
सिर्फ 70 अस्पतालों को एनओसी
फायर विभाग के सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में केवल 70 बड़े अस्पतालों को ही अग्निशमन विभाग की एनओसी मिली हुई है। इनमें आग से बचाव के सुरक्षा के पुख्ता इतंजाम हैं। इनका अग्निशमन विभाग ने बकायदा दौरा करने और पूरी रिपोर्ट हासिल करने के बाद इन्हें एनओसी जारी की है। इसमें सिर्फ अग्निशमन यंत्र ही नहीं, बल्कि एग्जिट और एंट्री प्वॉइंट भी फायर नियमों के हिसाब से ठीक हैं। वैसे अस्पतालों का समय-समय पर ऑडिट किया जाता है और इसमें कोई कमी होती है तो एनओसी रोक दी जाती है। निर्धारित समय सीमा में इसे पूरा करने के निर्देश दिए जाते हैं। पहले 9 मीटर से ऊंचे निजी अस्पताल के लिए अलग से बचाव का कोई प्रावधान नहीं था। इन्हें वर्ष 2010 में अग्निशमन के दायरे में लाया गया है। इनमें से सैकड़ों की तादात में छोटे श्रेणी के नर्सिंगहोम की श्रेणी में आने वाले अस्पताल अनधिकृत क्षेत्र और रिहायशी इलाकों में हैं। इन अस्पताल के लिए संबंधित विभाग से बिल्डिंग का प्लान पास नहीं है। लिहाजा ऐसी श्रेणी के अस्पतालों के लिए नियम तय करने की प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है।वर्ष 2010 के बाद से बने निजी अस्पतालों को बगैर विभाग की एनओसी के मान्यता नहीं दी जा सकती। सरकारी अस्पतालों की जहां तक बात है तो बड़े अस्पतालों की कुछ इकाइयों या ब्लॉक को छोड़कर सभी के पास एनओसी है। बिल्डिंग के जिन हिस्सों या यूनिट में कमी है, उस कमी को पूरा करने के लिए विभाग की तरफ से बोल उन्हें निर्देश भी जारी कर कुछ निर्धारित समय दिया जाता है। उसके भीतर ही उन्हें कमी को पूरा करना होता है।