सीएमओ की लापरवाही से पैदा हुए सैकड़ों हॉस्पिटल

दो पैक व्हिस्की और दारु में रीझ जाता है विभागीय क्लर्क

फर्रुखाबाद (मनोज कुमार) मुख्य चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही से जिले में सैकड़ों हास्पीटल बरसाती कीड़ों की तरह पैदा हो गए हैं मसेनी चैराहा पर आर एल हॉस्पिटल बिना रजिस्ट्रेशन एवं ना कोई एमबीबीएस डॉक्टर एवं ना कोई डिप्लोमा होल्डर स्टाफ केवल राम भरोसे मरीज की जिंदगी लोक चिकित्सा अधिकारी के रहमों करम पर मसेनी चौराहे के आसपास नर्सिंग होम मेला लग गया हैं सीएमओ आंख और कान बंद रखने का भी पक्षकार से हजारों रुपए का नजराना लेते हैं। स्वास्थ्य विभाग के पटल पर मौजूद क्लर्क दो पैक व्हिस्की और दारू में ही रीझ जाता है। स्वास्थ्य विभाग को नजराना देने के बाद प्राइवेट अस्पताल संचालक जनता के खून चूसने का काम शुरू कर देते हैं इस भ्रष्टाचार के खेल में अंत बुरा जनता का होता है।
प्राइवेट अस्पताल संचालन करने का क्या मानक है और कैसे संचालित करना है यह बात स्वास्थ्य विभाग किसी को नहंीं बताता है कारण साफ है कि संदिग्ध रखने में ही उनका फायदा है। मसेनी चैराहे पर कुकुरमुत्ता की तरह अस्पताल उग आए हैं यहां पर शायद ही कोई अस्पताल ऐसा हो सरकारी मानकों पर खरा उतर रहा हो सारे के सारे भगवान भरोसे चल रहे हैं हालांकि इस संबंध में जनता से लेकर पत्रकार इस बात को सीएमओ के समक्ष उठाकर सुधार करने की मांग कर चुके हैं लेकिन आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ तंत्र कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है वजनदार थैला प्रस्तुत करने वाले का बडा सम्मान और छोटी थैली देने वाले को लाइन में भी खडा रहना पडता है स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से अनावश्यक विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है थैली न पहुंचने तक फाइल जहां की तहां पडी रहती है उसमें तमाम तरह की आपत्ति लगाकर लिपिक अधिकारियों को गुमराह करते रहते हैं नवीनीकरण से लेकर नर्सिंग होम का लाइसेंस जारी करने तक हजारों के वारे न्यारे हो जाते हैं हजारों के वारे न्यारे करने वाले हॉस्पिटल संचालक भी मरीज और तीमारदारों से पशुवत व्यवहार करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते हैं

 

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