विहिप ने अवैध मतांतरण पर रोक के लिए केंद्र से की कानून बनाने की मांग

नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने देश में अवैध मतांतरण पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार से जल्द से जल्द कानून बनाने का आग्रह किया है।

केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने मंगलवार को अवैध मतांतरण पर सर्वोच्च न्यायालय की चिंता से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि विभिन्न घटनाओं और इस विषय पर गठित आयोगों का यही निष्कर्ष है कि अवैध मतांतरण धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर इसे नहीं रोका गया तो देश के लिए खतरनाक स्थिति निर्माण हो जाएगी।

डॉ जैन ने कहा कि न्यायपालिका ने पहले भी कई मामलों में अवैध मतांतरण पर केंद्रीय कानून बनाने की आवश्यकता पर बल दिया था। बार-बार यह स्पष्ट हो गया है कि जबरन, धोखे से व लालच से किया गया मतांतरण अवैध है लेकिन स्पष्ट कानून के अभाव में षड्यंत्रकारियों को सजा नहीं मिल पाती थी।

विहिप व भारत के संतों का हमेशा से ही यह मत रहा है कि अवैध मतांतरण को रोकना चाहिए। इसके लिए कई महापुरुषों और संगठनों ने निरंतर संघर्ष किए हैं और बलिदान भी दिए हैं। मिशनरियों से जनजातियों की रक्षा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष और बलिदान अविस्मरणीय है। सिख गुरुओं, स्वामी श्रद्धानंद, स्वामी लक्ष्मणानंद आदि कई महापुरुषों ने मतांतरण को रोकने के लिए ही अपने बलिदान दिए थे। विहिप ने इस विषय पर कई बार प्रस्ताव भी पारित किए हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों के कई उदाहरण यह स्पष्ट करते हैं कि अवैध मतांतरण के कारण राष्ट्र का अस्तित्व और सुरक्षा खतरे में है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश का तो निर्माण ही मतांतरण के कारण हुआ था। कश्मीर, पूर्वोत्तर, बंगाल और केरल के कई जिलों में हिंदुओं की दुर्दशा के पीछे भी अवैध मतांतरण ही दोषी है। श्रद्धा, निकिता जैसी सैकड़ों लड़कियों की वीभत्स और बर्बर हत्या के पीछे भी मूल कारण मतांतरण ही है।

डॉ जैन ने कहा कि इस समय भारत के आठ राज्यों में अवैध मतांतरण को रोकने के लिए कानून की व्यवस्था की गई है। लेकिन यह समस्या राष्ट्रव्यापी है जिसके पीछे अंतरराष्ट्रीय षडयंत्रकारी शक्तियां सक्रियता से काम कर रही हैं। इनके द्वारा भेजी जा रही अकूत धनराशि के कई बार प्रमाण भी मिले हैं। पूर्वोत्तर व पूर्वी राज्यों में मिशनरी और देशभर में पीएफआई की गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि मतांतरण के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ती रही है।

 

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