आई आई टी कानपुर में दस साल पहले रखा गया था टाइम कैप्सूल

तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने जमीन के अंदर टाइम कैप्सूल को प्रत्यारोपित किया था

कानपुर। अयोध्या में राम जन्मभूमि और राम मंदिर से जुड़े साक्ष्य, दस्तावेज और स्मृतियों को धरती की कोख में सहेजने की तैयारी है। यह प्रयोग आइआइटी कानपुर में 10 साल पहले किया जा चुका है। यहां भी टाइम कैप्सूल में स्मृतियों को संजोकर धरती में सुरक्षित किया गया है। 2010 में छह मार्च को आइआइटी कानपुर में गोल्डन जुबली समारोह आयोजित किया गया था। इसी दिन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने कैंपस में ही टाइम कैप्सूल प्रत्यारोपित किया था। इसे बनाने और रिकॉर्ड को संरक्षित रखने में तीन महीने से अधिक का समय लगा था। तांबे से बने इस टाइम कैप्सूल का वजन 200 किलोग्राम से अधिक है। टाइम कैप्सूल को ऑडिटोरियम के पास 18 इंच व्यास के बोरवेल में 15 फुट की गहराई में प्रत्यारोपित किया गया। इस पर 20 टन वजन के संगमरमर को रखा गया है, जिसे बाड़मेर से मंगवाया गया था। आसपास रंग-बिरंगे फूल लगे हैं। टाइम कैप्सूल को टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो. अविनाश अग्रवाल और वर्कशॉप इंचार्ज फूलचंद गौंड ने बनाया था। इसमें रिकॉर्ड, उपकरण और अन्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए ऑक्सीजन पूरी तरह से निकालकर नाइट्रोजन भरी गई थी। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि इसे जमीन में भेजने के लिए विशेष तकनीक इस्तेमाल की गई। बटन दबाते ही यह धरती में चला गया। भविष्य में इसे निकाला भी जा सकेगा। उसी दिन नैनो सेटेलाइट जुगनू का भी अनावरण हुआ था।

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