यूपी के लाखों किसानों के लिए खुशखबरी

सस्ता फसली ऋण मिलने का रास्ता साफ; योगी सरकार ने मुहैया कराया धन

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में लाखों किसानों के लिए अच्छी खबर है। किसानों को सस्ता फसली ऋण मिलने का रास्ता साफ हो गया है, उन्हें जरूरत के मुताबिक सहकारी संस्थाएं कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराएंगी। साथ ही फसलों की बोवाई के समय खाद का संकट न हो इसके लिए उर्वरक का भंडारण होगा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों को सस्ता फसली ऋण उपलब्ध कराने के लिए भी धन मुहैया करा दिया है। इस वर्ष के लिए बजट में प्रदेश सरकार ने सहकारिता क्षेत्र को 450 करोड़ रुपये दिए हैं। इसमें ब्याज अनुदान के लिए 300 करोड़ रुपये व रासायनिक उर्वरकों के भंडारण के लिए 150 करोड़ रुपये का मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में लघु व सीमांत यानी छोटी जोत वाले किसान दो करोड़ से अधिक हैं, इन्हें खाद, बीज, पानी आदि के लिए फसली ऋण की जरूरत होती है। किसान साहूकारों के झांसे में न आएं इसलिए सरकार उनकी मदद कर रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाले धन का उपयोग खेती के कार्य में होता है। योगी सरकार बजट में किसानों कर हित सहकारिता के जरिए साधा है। सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने बताया कि बैंकों की ओर से किसानों को फसल ऋण चार प्रतिशत ब्याज की दर से मुहैया कराया जाता है। वहीं, सहकारी संस्थाएं केवल तीन प्रतिशत ब्याज की दर से किसानों को ऋण दे रही हैं। किसानों को मिलने वाले ऋण में एक प्रतिशत की अधिक रियायत देने पर सरकार सहकारिता विभाग को ब्याज अनुदान (लोन सब्सिडी) योजना के लिए 300 करोड़ रुपये दे रही है। इस रकम से किसानों को फसली जरूरतों के लिए पर्याप्त कृषि ऋण लेने में दिक्कत नहीं आएगी। वहीं, ऋण देने वाली संस्थाओं को भी फसली ऋण बोझ नहीं लगेंगे। किसानों को फसलों की जरूरतों के मुताबिक खाद समय पर मिल सके, इस पर भी सरकार ने पूरा ध्यान दिया है। मंत्री राठौर ने बताया कि खाद वितरण की सर्वाधिक जिम्मेदारी सहकारी संस्थाओं की होती है। समय पर इसका वितरण तभी संभव है जब खाद वितरित करने वाली सहकारी संस्थाओं के पास इसका पर्याप्त भंडारण रहे। सहकारी संस्थाओं से किसान बिना खाद न लौटें, इसके लिए सरकार ने रासायनिक खादों का भंडारण करने के लिए लगातार दूसरे वर्ष 150 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। किसानों को सहकारी संस्थाओं के माध्यम से समय पर और पर्याप्त खाद के लिए अनावश्यक भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी।

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