हर व्यक्ति के लिए उनके घर के दरवाजे हमेशा खुले थे और खुले रहेंगे : मदन भैय्या
गाजियाबाद। लायक हुसैन।यह तस्वीर कुछ बयां करती है, दरअसल हम बात कर रहे हैं लोनी विधानसभा की यहां पर अपनी-अपनी जीत के दावे भले ही तमाम दलों के प्रत्याशी कर रहे हों लेकिन इस बार मदन भैय्या का चेहरा यह बात बयां कर रहा है कि लोनी की जनता ने उनका बढ़चढ़ कर साथ दिया है, और यह बात हम इसलिए कह रहे हैं चूंकि चुनाव समाप्ति के बाद अक्सर जो प्रत्याशी चुनाव लड़कर फुर्सत होते हैं तब उन्हें इस बात का डर सताता है कि कहीं वह चुनाव हार न जाएं और इस बात का डर होना भी चाहिए चूंकि चुनाव कोई खेल तो है नहीं कि चुनाव लड़े और बात खत्म दरअसल जितने भी प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं वह सभी चुनाव जीतने के लिए लड़ते हैं परंतु एक विधानसभा में सिर्फ एक ही प्रत्याशी चुनाव जीतकर जनता के बीच जनप्रतिनिधि कहलाता है और फिर वह अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान जनता की परेशानियों को किस प्रकार देखने का कार्य करता है यह बात अहम होती है, और इस बात का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं चूंकि जनता के मन में यह बात होती है कि हमारे विधायक जी या जो भी पद हो वह हमारी परेशानियों को दूर करेंगे और विकास कार्य कराएंगे हालांकि विकास कार्य तमाम तरह के होते हैं उनमें छोटे से लेकर बड़े काम भी विकास ही कहलाते हैं। अब हम बात करें कि पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान अगर एक विधायक अपनी विधानसभा में भरपूर काम करके जनता के मन को जीतने का काम कर लें तो दोबारा जनता बगैर सोचे समझे उसी विधायक या अन्य पद को वोट करेगी, चूंकि जनता जो चाहती है वह उनके विधायक जी ने कर दिखाया और जनता के बीच अपने आपको जनप्रतिनिधि के रूप में पांच वर्षों तक लगातार जनता के बीच बने रहे तब उस स्थिति में हारने का तो मतलब ही नहीं उठता, और अगर जनता के मन से उतर गए तो जीतने का भी मतलब नहीं होता, इसी के साथ आज हमारे साथ लोनी विधानसभा से गठबंधन प्रत्याशी मदन भैय्या से चुनाव समाप्ति के बाद एक मुलाकात हुई और इस दौरान हमने उनसे जानने की कोशिश की कि इस बार जनता ने उन्हें सराहा या नहीं यह बात हमने इसलिए पूछी ताकि उनके मन में क्या चल रहा है यह जानना बेहद जरूरी था तो मदन भैय्या ने हंसते हुए जबाब दिया कि जब-जब जनप्रतिनिधियों ने जनता से दूरी बनाई तब-तब जनता ने जनप्रतिनिधि से भी दूरी बनाई मसलन चाहे मसला जो कोई भी हो उसमें जनता की परेशानी हो या मुद्दा विकास का हो या फिर जातिवाद का मतलब यह है कि जनता यही चाहती है कि हमारा जनप्रतिनिधि सबको एक नजर से देखे उसमें भेदभाव की भावना नहीं होना चाहिए और ऐसा होने पर जनता का मन डमाडोल हो जाता है यह बातें मदन भैय्या ने हमसे साझा कीं, अब एक खास बात भी हम आपको बताते चलें कि मदन भैय्या से मिलने के दो दिन पहले हमारी टीम ने लोनी विधानसभा में अलग-अलग जगहों पर जनता से भी संवाद किया और उनके मन की बात को करोदने का प्रयास किया तो सबसे अधिक लोगों की पसंद भी मदन भैय्या ही थे, लेकिन यह बात वोट खुलने के दौरान पता चल सकेगी कि कौन जनता की पसंद था और कौन नापसंद इसके लिए चाहे प्रत्याशी हो या जनता सब इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मदन भैय्या इस बार आश्वत हैं मतलब बेफिक्र नजर आए तो जाहिर तौर पर उन्हें इस बात की उम्मीद है कि जनता का आशीर्वाद उन्हें मिला है, इस बात पर जब हमने मदन भैय्या से सबाल किया कि वह इस बार इतने बेफिक्र नजर आ रहे हैं कि वह शायद चुनाव जीत चुके हों, तब मदन भैय्या ने जो जबाब दिया वह अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है मदन भैय्या ने कहा कि जनता तो यही चाहती थी कि इस बार विधानसभा चुनाव हों और हम मदन भैय्या से कुछ काम करवाएं तो जाहिर है कि जनता का आशीर्वाद उन्हें मिल चुका है। यहां पर आप यह जान लीजिए कि जब मदन भैय्या पूर्व में विधायक थे तब जनता दुखी नहीं थी यह बातें स्वयं ही जनता के मुख की हम आपको बताने का प्रयास कर रहे हैं चूंकि यह बातें हमारी टीम की पड़ताल में जनता से सुनी गईं, अब इसमें कितनी सच्चाई है यह बात आने वाली 10 मार्च को साफ होगी चूंकि जनता ने किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधा है यह बात अहम होगी जो अभी सिर्फ कहने में तो अच्छी लग रही है परन्तु देखने में भी अच्छी लगे तब की बात सच्चाई को बयां करेगी।