अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ जुर्माना लगाने की कार्यवाही पर रोक लगाई
नयी दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के अपने उत्पादों की बिक्री से कथित तौर पर 75 करोड़ रुपये मुनाफा कमाने के खिलाफ जुर्माना लगाने के लिये शुरू की गई कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगा दी। हालांकि, अदालत ने इसके लिये यह शर्त भी निर्धारित की है कि यह उक्त राशि छह महीने की किस्त में उपभोक्तया कल्याण कोष में जमा करे। न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने राष्ट्रीय मुनाफा-रोधी प्राधिकरण (एनएए) के 12 मार्च 2020 के आदेश को चुनौती देने वाली पतंजलि की याचिका पर यह निर्देश दिया। प्राधिकरण ने कहा था कि कंपनी ने नवंबर 2017 से मार्च 2019 के बीच माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती के फायदों को ग्राहकों तक नहीं पहुंचने दिया। उच्च न्यायालय ने केंद्र, प्राधिकरण और मुनाफा रोधी महानिदेशक (डीजीएपी) को भी नोटिस जारी कर कंपनी की याचिका पर अपना रुख बताने को कहा है। कंपनी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि प्राधिकरण यह देख पाने में नाकाम रहा है कि पतंजलि आयुर्वेद ने उपभोक्ताओं को 151 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा पहुंचाया। पतंजलि आयुर्वेद की पैरवी अधिवक्ता अमन सिन्हा कर रहे हैं। कंपनी ने केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 171 की संवैधानिकता को भी चुनौती दी है, जो यह प्रावधान करता है कि किसी भी वस्तु या सेवा की आपूर्ति पर कर की दर में कोई भी कटौती या ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ (वस्तु का उप्तादन करने वाले कारोबारियों को सरकार की तरफ से मिलने वाली छूट) मूल्य में कमी कर ग्राहक को मुहैया की जाएगी।