सीएम योगी पर टिप्पणी करना निजी सचिव अमर सिंह को पड़ा भारी, बर्खास्त, जानें क्या थी वजह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपर लेवल के अधिकारियों को इतनी झूट दे दी है कि कुछ अधिकारी अब मुख्यमंत्री और उप मंत्रियों तक पर निजी टिप्पणी करने से नहीं डर रहे है। इन अधिकारियों की बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि ये अधिकारी निरंकुश हो गए है, और इन्हें सरकार से कोई खौफ ही नहीं है। कुछ ऐसा ही मामला यूपी सचिवालय में कार्यरत अपर निजी सचिव अमर सिंह द्वितीय का है जिन्हें अब बर्खास्त कर दिया गया है। अमर सिंह ने शिक्षकों की भर्ती को लेकर मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा के खिलाफ जातिवाद के आरोप लगाए थे। इस मामले को विपक्ष के नेताओं ने विधानसभा सत्र के दौरान को जोर-शोर सदन में से उठाया था। आपको बता दें कि अमर सिंह द्वितीय उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव के पद पर तैनात थे जिन्हें राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। इतना ही नहीं सरकार के इस फैसले पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने भी अपनी मुहर लगा दी है। अमर सिंह अपर निजी सचिव संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
योगी सरकार ने अमर सिंह द्वितीय के विरुद्ध कर्मचारी सेवा नियमावली का उल्लंघन करने के तहत विभागीय कार्रवाई शुरू की थी। अमर सिंह द्वितीय के खिलाफ चल रही जांच में पाया गया कि इन्होंने मुख्यमंत्री योगी और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को अपने सीयूजी नंबर से वाट्सएप ग्रुप पर जातिवादी बताकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया है। जांच के बाद प्रदेश सरकार ने अमर सिंह को बर्खास्त करने का निर्णय लिया था। सचिवालय प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव के अनुसार सरकार के फैसले को लोक सेवा आयोग की सहमति के लिए भेजा दिया गया था। जिस पर आयोग ने अपनी मुहर लगा दी है। जिसके बाद उन्हें बर्खास्त करने संबंधी आदेश दे दिया गया है।
गौरतलब है कि अमर सिंह द्वितीय ने बीते छह जुलाई, 2018 को अपने सीयूजी नंबर से अपर निजी सचिव संवर्ग के वाट्सएप ग्रुप पर एक कमेंट करते हुए लिखा ता कि ‘यूजीसी के नियम से ओबीसी और दलितों के लिए दरवाजे बिल्कुल बंद हो चुके हैं। रामराज्य में सीएम ठाकुर अजय सिंह योगी और डिप्टी सीएम पंडित दिनेश शर्मा ने जातिवाद खत्म करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय में 71 में से 52 पदों पर अपनी जाति के लोगों को सहायक प्रोफेसर बनाया।’ शासन ने इसे गंभीरता से लिया और मामले की जांच के निर्देश दिए।