मुद्दों पर तर्कहीन बहस मीडिया का एजेंडा, इससे जजों को फैसले लेने में होती है दिक्कत: चीफ जस्टिस एनवी रमना
मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहा:CJI
CJI ने कहा कि हम देखते हैं कि किसी भी केस को लेकर मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है। कई बार अनुभवी जजों को भी फैसला करना मुश्किल हो जाता है। न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाने वाली बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रही है। अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।
CJI रमना ने कहा कि आजकल जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। पुलिस और राजनेताओं को रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा दी जाती है, इसी तरह जजों को भी सुरक्षा दी जानी चाहिए। CJI ने कहा कि वे राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हालांकि, जस्टिस रमना ने कहा कि उन्हें जज बनने का मलाल नहीं है।
CJI ने कहा कि वर्तमान समय की न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक फैसलों के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। जज समाजिक सच्चाइयों से आंखें नहीं मूंद सकते। सिस्टम को टालने योग्य संघर्षों और बोझ से बचाने के लिए जज को दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देनी होगी।
27 अगस्त, 1957 को कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक किसान परिवार में जन्मे जस्टिस एनवी रमना ने 24 अप्रैल 2021 को भारत के 48वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली थी। वे हैदराबाद में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में केंद्र सरकार के वकील और रेलवे के वकील भी रहे हैं। वे आंध्र प्रदेश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे हैं।
उन्होंने 10 मार्च, 2013 से 20 मई, 2013 तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एग्जीक्यूटिव चीफ जस्टिस के रूप में काम किया। उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में परमानेंट जज अपॉइंट किया गया था।