सरकार ने घरेलू तेल उत्पादकों को मार्केटिंग की आजादी दी, जानिये कैबिनेट बैठक में क्या लिए गए निर्णय
नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएम मोदी की अगुवाई में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बड़े फैसले लिये। इन फैसलों में सरकार ने बुधवार को घरेलू कच्चे तेल उत्पादकों को आयल बिक्री की आजादी देने का फैसला किया, ताकि वे जिसे चाहें उसे तेल बेच सकें। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयों पर पत्रकारों को जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री के डिरेगुलाइजेशन को मंजूरी दे दी है।कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने घरेलू रूप से उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री के विनियमन को मंजूरी दी। मौजूदा वक्त में देश में उत्पादित 99 फीसद क्रूड सरकारी रिफाइनरी को आवंटित किया जाता है। आज कैबिनेट कमेटी आन इकोनामिक अफेयर्स ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में डिरेगुलेशन आफ सेल आफ डोमेस्टिक प्रोड्यूस क्रूड आयल को मंजूरी दी है… यह फैसला 1 अक्टूबर 2022 से प्रभावी होगा।केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि पहली अक्टूबर से प्रोडक्शन शेयरिंग कान्ट्रैक्ट्स में सरकार या उसकी नामित या सरकारी कंपनियों को कच्चा तेल बेचने की शर्त माफ कर दी जाएगी। इसके तहत सरकार या सरकार की नामित संस्था को सरकारी कंपनियों को ही क्रूड आयल बेचने की जो बाध्यता थी वो समाप्त कर दी जाएगी। यानी इस फैसले से अब सारी तेल उत्पादक कंपनियां अपनी फील्ड के क्रूड आयल को घरेलू बाजार में बेचने के लिए पूरी तरह आजाद हो जाएंगी। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए देश की 63 हजार प्राइमरी कृषि कर्ज समितियों के कम्प्यूटरीकरण को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि कृषि कर्ज समितियों के कम्प्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये को मंजूरी दी गई है। इस फैसले का उद्देश्य यह है कि इन सोसाइटियों की दक्षता को बढ़ाई जाए और संचालन में पारदर्शिता लाई जाए। इस फैसले जवाबदेही सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी।कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि इस फैसले से व्यवसाय में विविधता और सेवाओं को शुरू करने की सहायता भी मिलेगी। इससे 13 करोड़ किसानों को फायदा होगा, जिनमें ज्यादातर छोटे और किसान सीमांत हैं। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में साइबर सुरक्षा और डेटा स्टोरेज के साथ क्लाउड आधारित सामान्य साफ्टवेयर का विकास करना शामिल है। इससे आंकड़ों का डिजिटलीकरण भी होगा।