बालिग बेटी भी गुजाराभत्ता की हकदार
अदालत ने कहा, बेटी शादी से पहले तक पिता से ले सकती है अपने तमाम खर्च
एक बालिग बेटी की गुजाराभत्ता याचिका को अदालत ने मंजूर कर लिया है। अदालत ने पिता को कहा है कि वह बेटी को गुजाराभत्ता रकम के तौर पर दस हजार रुपये की भरपाई करे। अदालत ने पिता की इस दलील को खारिज कर दिया कि बेटी बालिग है। अब वह गुजाराभत्ता मांगने का अधिकार नहीं रखती।कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित परिवार अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कानून के हिसाब से बेटी बालिग होने तक ही नहीं बल्कि शादी से पहले तक पिता से अपने तमाम खर्च प्राप्त कर सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर पिता यह कहता है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर है और बेटी को गुजाराभत्ता नहीं दे सकता, तो ऐसे में पिता की हैसियत के हिसाब से बेटी गुजाराभत्ता पाएगी।उच्च शिक्षा का खर्च भी उठाएगा पिता : इस मामले में 19 वर्षीय बेटी ने पिता से उच्च शिक्षा का खर्च देने की मांग भी अदालत के समक्ष रखी थी। पिता पेशे से कारोबारी है, लेकिन वह बेटी के बालिग होने का हवाला देकर शिक्षा का खर्च उठाने को भी तैयार नहीं हो रहा था। पिता का कहना था कि वह बचपन से अपनी मां के साथ रही है, इसलिए बेटी अगर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है तो यह उसकी जिम्मेदारी नहीं है। इस पर अदालत ने पिता को फटकार लगाते हुए कहा कि पिता बच्चों के लिए एक छत की तरह होता है। बेशक बेटी अलग रही है, लेकिन अगर पिता बेटी को उच्च शिक्षा दिलाने के काबिल है तो उसे यह कर्तव्य पूर्ण करना होगा। अदालत ने पिता को आदेश दिया है कि बेटी की उच्च शिक्षा के तमाम खर्च पिता उठाए।
यह है मामला : 19 वर्षीय युवती की मां और पिता का सात साल पहले तलाक हो चुका है। पिता ने दूसरी शादी कर ली है। मां एक निजी स्कूल में टीचर है। लड़की ने अपनी याचिका में कहा है कि मां की तनख्वाह से बमुश्किल घर चल पाता है, जबकि पिता कारोबारी हैं। उनकी मासिक आय भी तीन लाख रुपये से ज्यादा है, लेकिन वह खर्च नहीं दे रहे।
कानून में यह है प्रावधान
अदालत ने कहा कि बेटी के लिए कानून में विशेष तौर पर कहा गया है कि बेटी पिता के लिए तब तक जिम्मेदारी है जब तक वह खुद का खर्च उठाने के काबिल ना हो जाए। शादी के बाद अपने आप यह जिम्मेदारी उसके पति पर स्थानांतरित हो जाती है। इससे पहले पिता किसी भी हालत में बेटी का खर्च उठाने से बच नहीं सकता।