मेरठ में आफत की आंधी, एक ही दिन में 150 पेड़ और 90 बिजली के पोल गिर गए
मेरठ । मेरठ में आंधी और चक्रवाती तूफान दो दिन से बिजली व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है। रविवार शाम को आंधी आते ही बिजली आपूर्ति ठप कर दी गई। शहर समेत ग्रामीण क्षेत्र में कई स्थानों पर बिजली के खंभे गिर गए। डिफेंस एनक्लेव, माधवपुरम समेत कुछ स्थानों पर बिजली लाइन पर पेड़ गिर जाने से आपूर्ति बंद करनी पड़ी। उधर, शनिवार के तूफान की वजह से लावड़ में निर्माणाधीन विद्युत वितरण लाइन का टावर गिर गया। वहीं दूसरी ओर एक दिन चक्रवाती तूफान और एक दिन आंधी से 150 पेड़ और करीब 90 बिजली पोल गिर गए। कहीं पेड़ बिजली तारों पर गिरे तो बिजली चली गई। कहीं पोल और पेड़ सड़क पर पसर गए जिससे दुर्घटनाएं हुईं। कहीं पेड़ जड़ों से दरक कर झुक गए तो कहीं पोल झुक गए, इसे सिर्फ प्रकृति का चक्र कहकर नहीं टाला जाना चाहिए।हालांकि इसमें अभी विद्युत तार नहीं लगाया गया है इसलिए कोई घटना नहीं हुई। उसी क्षेत्र में दो अन्य स्थानों पर टावर गिरे। जिस स्थान पर टावर गिरा है वहां भी इससे कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थानों पर बिजली लाइन पर पेड़ गिरे इससे आपूर्ति बंद रही। 20 कालोनियों में दो घंटे ठप रही बिजली आपूर्तिगंगानगर क्षेत्र में रविवार को प्रथम बिजलीघर पर 33 केवी लाइन मरम्मत का काम किया गया।इसके चलते सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक पूरे गंगानगर इलाके में बिजली नहीं रही। गंगानगर उपकेंद्र से जुड़ी डिफेंस कालोनी, कसेरूखेड़ा, मीनाक्षीपुरम, न्यू मीनाक्षीपुरम, रक्षापुरम, ए-डब्ल्यूएचओ, जीपी, एच ब्लाक, डी ब्लाक, पंचवटी कालोनी, पीएंडटी कालोनी, अमन विहार, अमन विहार कालोनी, ग्रीन पार्क कालोनी, कृष्णा लोक कालोनी में आपूर्ति ठप रही। रविवार को अवकाश होने पर जब लोग विश्राम की स्थिति में होते हैं तब उस दिन दो घंटे आपूर्ति ठप होने से लोगों को परेशानी हुई।एक दिन चक्रवाती तूफान और एक दिन आंधी से 150 पेड़ और करीब 90 बिजली पोल गिर गए। कहीं पेड़ बिजली तारों पर गिरे तो बिजली चली गई। कहीं पोल और पेड़ सड़क पर पसर गए जिससे दुर्घटनाएं हुईं। कहीं पेड़ जड़ों से दरक कर झुक गए तो कहीं पोल झुक गए, इसे सिर्फ प्रकृति का चक्र कहकर नहीं टाला जाना चाहिए। पेड़ और पोल को मजबूत करने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की है। पौधारोपण जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है पेड़ हो जाने पर उसे गिरने से बचाना। क्योंकि आबादी के बीच और सड़कों के किनारे पेड़ को मजबूती देने का कार्य वन विभाग को करना होता है। उसी तरह से बिजली आपूर्ति के लिए लगाए गए पोल गिरकर दुर्घटना का कारण न बनें इसलिए उसकी मजबूती का कार्य ऊर्जा निगम को करना होता है।इसके बाद भी ये विभाग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा रहे हैं। अगर ऐसा ही रहा तो शहर में आपूर्ति ठप होती रहेगी, इनकी वजह से दुर्घटनाएं होती रहेंगी। आंधी-तूफान तो सतत प्रक्रिया इसे रोका नहीं जा सकता, मगर अपनी व्यवस्था दुरुस्त कर इससे होने वाले नुकसान रोके जा सकते हैं। कई क्षेत्रों में रात 12 बजे तक भी नहीं आई बिजलीरविवार शाम आंधी चलने के बाद पोल गिरने और पेड़ गिरने से आपूर्ति ठप हो गई थी। उसके बाद टीम ने काम शुरू किया। कुछ क्षेत्रों में दो घंटे बाद ही आपूर्ति सुचारू हो गई। कुछ क्षेत्र में रात 10 बजे के बाद आपूर्ति शुरू हो गई। वहीं कुछ क्षेत्र ऐसे रहे जिनमें रात 12 बजे तक भी आपूर्ति सुचारू नहीं हो सकी। लोग कंट्रोल रूम में फोन मिलाते रहे। वहां समस्याएं दर्ज करने के साथ ही समाधान का आश्वासन मिलता रहा