जल्द होगा 12 से 15 वर्ष के बच्चों का वैक्सीनेशन
कानपुर । कोरोना वायरस के संक्रमण की गंभीरता को कोविड वैक्सीनेशन कम करता है। जब भी कोई नई वैक्सीन आती है तो उसका क्लीनिकल ट्रायल होता है। सबसे पहले वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल व्यस्कों पर होता है। उसके बाद युवा और अंत में किशोर व बच्चों को वैक्सीन लगाई जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए ही वैक्सीनेशन कराया जा रहा है। अब जल्द से जल्द 12-15 वर्ष के बच्चों का वैक्सीनेशन कराने की तैयारी शुरू है। यह बातें भारतीय बाल रोग अकादमी की गोष्ठी के प्रमुख वक्ता सेंट्रल आइएपी वैक्सीन के कार्यकारिणी समिति के सदस्य डा. विपिन मोहन वशिष्ट ने कहीं। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर के 10 हजार संक्रमितों में 39 प्रतिशत को ओमिक्रोन का संक्रमण हुआ था, इन ओमिक्रोन संक्रमितों को वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बावजूद संक्रमण हुआ। दूसरी लहर में डबल डोज लगने के बाद कोरोना का संक्रमण हुआ था, उसमें से सिर्फ छह प्रतिशत को ही ओमिक्रोन का संक्रमण हुआ है। पहली, दूसरी और तीसरी लहर में व्यस्कों की मृत्युदर अधिक रही, जबकि बच्चों की सबसे कम रही। उन्होंने कहा कि डेल्टा की अपेक्षा ओमिक्रोन कम घातक है। ओमिक्रोन में सिर्फ गले में खराश, खांसी और हल्का बुखार आया । यह कतई न समझें कि हल्के लक्षण हैं तो कोरोना का संक्रमण अब खत्म होने वाला है।