इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से आत्मसमर्पण करने के लिए कहा

पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकियों से हथियार डालने और आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है। लेकिन टीटीपी प्रमुख मुफ्ती नूर वली ने कहा है कि हथियार डालने की उम्मीद जल्दबाजी में की गई है। इससे पहले सरकार हमारे कार्यकर्ताओं को जेलों से रिहा करे और हमारी मांगों पर गौर करे। विदित हो कि अफगान तालिबान के कमांडर और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी की मध्यस्थता में इन दिनों पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच समझौते के लिए वार्ता चल रही है।

वार्ता में टीटीपी की ओर से संगठन के सरगना मुफ्ती नूर वली की अगुआई वाला दल शामिल है। वली ने कहा है कि सरकार की हथियार डालने की मांग बहुत जल्दी की गई है। उससे पहले सरकार को हमारे कार्यकर्ता जेल से रिहा करने होंगे और हमारी मांगें माननी होंगी। इन मांगों को मानने की मजबूत गारंटी भी देनी होगी। लेकिन इमरान सरकार ने टीटीपी की इन अपेक्षाओं पर अभी कुछ नहीं कहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने माना है कि टीटीपी को शस्त्रहीन करने और देश में शांति स्थापित करने के लिए वार्ता की जा रही है। टीटीपी के कुछ नेता सरकार से बात करके देश में शांति और सुलह स्थापित किए जाने के पक्ष में हैं। इमरान ने प्रतिबंधित संगठन से वार्ता में सफलता मिलने के भी संकेत दिए हैं।

वहीं, दूसरी तरफ इमरान खान ने कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। इस आशय के प्रस्ताव पर शनिवार को इमरान ने अंतिम स्वीकृति दे दी। टीएलपी से यह प्रतिबंध हाल ही में संगठन के साथ हुए गुप्त समझौते के तहत हटाया गया। संगठन के दो हजार कार्यकर्ता भी जेलों से रिहा कर दिए गए हैं। प्रतिबंध हटने के बाद टीएलपी के राजनीतिक दल के रूप में कार्य करने का रास्ता खुल गया है। माना जा रहा है कि आगामी आम चुनाव में टीएलपी अपने प्रत्याशी उतार सकता है।

टीएलपी ने अक्टूबर के अंतिम दिनों में अपने सरगना साद रिजवी की जेल से रिहाई और फ्रांसीसी राजदूत के पाकिस्तान से निष्कासन की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ा था। लाहौर के नजदीक से शुरू हुए इस आंदोलन में दस पुलिसकर्मियों समेत 21 लोग मारे गए थे और चार सौ से ज्यादा घायल हुए थे। इसके बाद संगठन ने इस्लामाबाद मार्च शुरू कर दिया था। मार्च में शामिल दसियों हजार लोगों को रोकने के लिए इमरान ने धार्मिक विद्वानों को मध्यस्थ बनाकर वार्ता की और उसके बाद गुप्त समझौता किया। इसी के तहत टीएलपी के कार्यकर्ता रिहा किए गए हैं और उस पर से प्रतिबंध हटाया गया है। हाल के वर्षो में टीएलपी के आंदोलनों में हुई हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।

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