बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए नए नियमों का एलान, जानें इस कवायद का मकसद
बिजली मंत्रालय ने सेक्टर को आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए शनिवार को कुछ नए नियमों की घोषणा की। इसका मकसद बिजली क्षेत्र से जुड़े अंशधारकों की लागत की जल्द से जल्द भरपाई करना है। एक बयान में कहा गया है कि मंत्रालय ने बिजली क्षेत्र में स्थिरता तथा स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन के लिए नए नियम अधिसूचित किए हैं। इसके जरिये भारत जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अपनी प्रतिबद्धता को भी पूरा कर सकेगा।
दूसरा नियम बिजली (अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन को प्रोत्साहन) से संबंधित है। मंत्रालय ने कहा है कि कानून में बदलाव की वजह से लागत की जल्द वसूली काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि समय पर भुगतान बिजली क्षेत्र के लिए जरूरी है। मंत्रालय ने कहा कि दुनियाभर में ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव हो रहा है।
भारत ने भी इस क्षेत्र में बदलाव की प्रतिबद्धता जताई है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट और 2030 तक 450 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता की प्रतिबद्धता जताई है। मंत्रालय ने कहा कि इन नियमों से देश को नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। इसस उपभोक्ताओं को हरित और स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध हो सकेगी।
इसके तहत जिन बिजली संयंत्रों का संचालन अनिवार्य है, उन पर बिजली उत्पादन या आपूर्ति में कटौती का नियमन लागू नहीं होगा। हालांकि बिजली ग्रिड में किसी भी तकनीकी दिक्कत की स्थिति में या बिजली ग्रिड की सुरक्षा को खतरा होने पर बिजली उत्पादन को कम या विनियमित किया जा सकता है। बिजली उत्पादन में कटौती या विनियमन के लिए भारतीय विद्युत ग्रिड कोड के प्रविधानों का पालन करना होगा।
मिलकर काम करेंगे टाटा पावर और आइआइटी
स्वच्छ ऊर्जा और अन्य परियोजनाओं पर मिलकर काम करने के लिए टाटा पावर ने आइआइटी-दिल्ली के साथ करार किया है। इन परियोजनाओं को शोध एवं विकास के चरण से पायलट चरण में बदला जा सकता है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि टाटा पावर और आइआइटी-दिल्ली ने स्मार्ट ग्रिड प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा समाधान जैसे क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। अनुसंधान और व्यवसाय के क्षेत्र में दोनों संस्थानों द्वारा सहयोग करने की अपार संभावनाएं हैं।