हेडिंग्ले टेस्ट में टीम इंडिया महज 78 रनों पर हुई ढेर, कप्तान कोहली का फैसला साबित हुआ काल

लॉर्ड्स टेस्ट में जब भारतीय टीम को ऐतिहासिक जीत मिली तो खिलाड़ी फूले नहीं समां रहे थे। हर तरफ टीम इंडिया का गुनगान हो रहा था और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने तो यहां तक कह दिया था कि इंग्लिश टीम इस टेस्ट सीरीज में कमबैक असंभव सा नजर आता है। लेकिन, जो रूट की टीम ने हेडिंग्ले टेस्ट में ऐसी वापसी की कि हर कोई दंग रह गया। इंग्लैंड ने तीसरे टेस्ट में भारत को पारी और 76 रनों से रौंदा और सीरीज को 1-1 से बराबर किया। जिस बैटिंग ऑर्डर का विराट कोहली हमेशा बचाव करते हुए दिखाई देते हैं, वहीं बल्लेबाजी क्रम इंग्लिश गेंदबाजों के आगे ताश के पत्तों की तरह एक नहीं बल्कि दोनों पारियों में बिखर गया। 

टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने का कप्तान कोहली का फैसला टीम इंडिया के लिए काल साबित हुआ और इंग्लैंड के पेस अटैक के आगे भारतीय बल्लेबाजों ने तु चल मैं आया की राह पकड़ ली। हालात यह रहे कि टीम के 9 बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके और पूरी टीम महज 78 रनों पर ढेर हो गई। दूसरी पारी में रोहित शर्मा और चेतेश्वर पुजारा ने बढ़िया साझेदारी जमाई और फिर कप्तान कोहली के बल्ले से भी सीरीज का पहला अर्धशतक निकला। तीसरे दिन की बैटिंग को देखने के बाद लगा कि चौथे दिन मैच रोमांचक होगा और कोहली की सेना कोलकाता वाली जीत को लीड्स में दोहरा देगी। 

चौथे दिन के पहले तीन ओवर में एक भी रन नहीं बना और 35 पारियों बाद शतक के करीब पहुंचे चेतेश्वर पुजारा का लीड्स में सेंचुरी ठोकने का सपना अधूरा रह गया। पुजारा के आउट होने के बाद मानो भारतीय बल्लेबाजों को पवेलियन लौटने की जल्दबाजी सताने लगी और देखते ही देखते टीम की दूसरी पारी 278 रनों पर सिमट गई। टीम इंडिया ने पहली इनिंग वाली गलती दूसरी पारी में भी दोहराई और अपने आखिरी 8 विकेट महज 63 रन जोड़कर गंवाए। टीम इंडिया के मिडल ऑर्डर का फ्लॉप होना कोई नई बात नहीं है, पिछले काफी समय से बैटिंग ऑर्डर का यही हाल रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या टीम इंडिया के बल्लेबाजी क्रम में बदलाव करने का समय आ गया है? क्या कप्तान कोहली को बेंच पर बैठे बल्लेबाजों को आजमाना चाहिए। अगर सीरीज को बचाना है और 2007 के बाद इंग्लैंड को उसकी ही सरजमीं पर पटखनी देनी है तो कोहली को चौथे टेस्ट में कुछ मुश्किल फैसले लेने ही होंगे।

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