ईरान ने अपने यूरेनियम संवर्धन को लेकर दी सफाई, बोले- किसी शर्त का नहीं होता उल्लंघन
एक तरफ जहां ईरान अमेरिका से परमाणु डील को लेकर सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों के साथ वार्ता कर रहा है वहीं दूसरी तरफ उसने यूरेनियम संवर्धन का काम भी शुरू कर दिया है। उसका ये कदम इस परमाणु डील की प्रक्रिया में एक बड़ी अड़चन माना जा रहा है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) ने इसकी जानकारी साझा करते हुए कहा कि इस वर्ष पहले छह माह के दौरान ही ईरान यूरेनियम को धातू के रूप में तैयार कर चुका है। हालांकि इनका संवर्धन नहीं किया गया है। संवर्धन के बाद ही इनका इस्तेमाल परमाणु हथियारों के लिए ईंधन तैयार किया जा सकता है।
ईरान के इस कदम की संधि वार्ता से जुड़े सभी सदस्यों ने कड़ी आलोचना की है। अमेरिका ने ईरान के इस कदम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और वार्ता को पीछे ले जाने वाला बताया है। वार्ता में शामिल सभी सदस्य देशों का कहना है कि इससे बातचीत में पेचीदगियां बढ़ेंगी और किसी भी करार तक पहुंचने में समस्या आएगी। हालांकि ईरान ने अपने बचाव में कहा है कि उसका ये कदम संधि वार्ता में व्यवधान नहीं डालता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका मकसद रिसर्च के लिए फ्यूल प्लेट तैयार करना है।
आपको बता दें कि ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम की वजह से ही कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं। इन प्रतिबंधों के चलते वो किसी भी प्रकार से परमाणु हथियारों के लिए ईंधन तैयार नहीं कर सकता है। ईरान में प्रतिबंधों की वजह से यूरेनियम संवर्धन एक सीमा तक ही किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल केवल ऊर्जा के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। आपको बता दें कि अधिक मात्रा में यूरेनियम संवर्धन कर उसका उपयोग परमाणु बम बनाने और ऐसे हथियारों का ईंधन तैयार करने में किया जा सकता है।
आईएईए ने अपने बयान में कहा है कि ईरान ने यूरेनियम संवर्धन को लेकर उसको जानकारी दी है। दी गई जानकारी के मुताबिक सवंर्द्धित यूओ2 (यूरेनियम ऑक्साइड) को असफहान स्थित फ्यूल फेब्रिकेशन प्लांट की लैब में भेजा जाएगा। वहां पर इससे यूरेनियम टेट्राफ्लोराइड बनाया जाएगा और अंत में इसके माध्यम से फ्यूल तैयार किया जाएगा। रायटर ने कुछ समय पहले आईएईए की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए खबर दी थी कि ईरान ने फिर से यूरेनियम संवर्धन प्रक्रिया शुरू कर दी है।
वार्ता के सदस्य देशों ने कहा है कि ईरान का ये कदम परमाणु हथियार हासिल करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है। बयान में ये भी कहा गया है कि इस तरह का कदम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं उठाया जाता है। इससे पिछले छह दौर की वार्ता में हुई प्रगति बाधित हो सकती है। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर छठे दौर की वार्ता आखिरी बार वियना में 20 जून को हुई थी। परमाणु डील के मुद्दे पर आईएईए में शामिल रूस का कहना है कि इस संबंध में ईरान और अमेरिका दोनों ही समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं।