चीनी सैनिकों को लगने लगा ‘कोरोना टीका
भारत में दो वैक्सीन का ट्रायल
पेइचिंग! एजेंसी ! दुनियाभर की सरकारें सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस का टीका लगाने पर विचार कर रही हैं। उधर, दक्षिण चीन सागर से लद्दाख तक दादागिरी दिखा रहे चीन ने सबसे पहले अपने सैनिकों को कोरोना का टीका लगाना शुरू किया है। पीपल्स लिबरेशन आर्मी की मदद से बनाई चीनी कोरोना वैक्सीन बड़े पैमाने पर सैनिकों को लगाई जा रही है। वह भी तब जब चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन का तीसरे चरण ट्रायल चल रहा है। इसके नतीजे आने से पहले ही चीन ने सैनिकों को लगाना शुरू कर दिया है।फाइनेंशियल टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में नागरिकों और सेना के लिए बनाई गई तकनीकों का एक-दूसरे के यहां इस्तेमाल आम बात है लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के समय में यह और बढ़ गया है।
शी जिनपिंग ने चीनी सेना और नागरिकों के गठजोड़ का अभियान चलाया है और कोरोना वायरस ने इसे और बढ़ा दिया है। केनबरा में चाइना पॉलिसी सेंटर के डायरेक्टर एडम नी का कहना है कि चीनी सेना के अंदर जैविक और संक्रामक बीमारियों से लड़ने की काबिलियत है और चीनी नेता इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं।रूस ने अगले 15 दिन के भीतर दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन लॉन्च करने का दावा किया है। मॉस्को के गामलेया इंस्टीट्यूट की बनाई वैक्सीन 10 अगस्त से पब्लिक यूज के लिए उपलब्ध हो सकती है। फिर यह वैक्सीन फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को लगाई जाएगी। साथ ही साथ फेज 3 के टेस्ट्स चलते रहेंगे।अमेरिका के टॉप महामारी एक्सपर्ट एंथनी फाउची के मुताबिक, 2020 के आखिर तक एक सेफ और प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन ‘हकीकत’ बन जाएगी। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता यह सपना देखना है। मैं मानता हूं कि यह सच है और यह सच ही साबित होगा।” अमेरिका ने ‘ऑपरेशन वार्प स्पीड’ नाम से एक प्रोग्राम शुरू किया है जिसका मेन काम वैक्सीन बनाने और उसे हासिल करना है।देश की पहले कोरोना वायरस वैक्सीन कोवेक्सिन का ट्रायल उत्तर प्रदेश में भी शुरू हो गया है। कानपुर के राणा हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में कुल नौ वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई, उनकी हालत ठीक बताई जा रही है। कोवैक्सिन के ट्रायल के लिए लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है और वे वॉलंटियर बनने के लिए भारी संख्या में रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। यह वैक्सीन भारत बायोटेक इंटरनैशनल लिमिटेड और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी ने मिलकर बनाई है।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से सबको उम्मीदें
जो वैक्सीन बनाई हैं, वे फेज 3 ट्रायल से गुजर रही हैं। दोनों वैक्सीन के निर्माताओं ने शुरुआती ट्रायल में वैक्सीन के असरदार होने का दावा किया था। एक वैक्सीन का ट्रायल 1,150 लोगों पर हो रहा है तो दूसरे के ट्रायल में कम से कम एक हजार लोग शामिल हो चुके हैं।चीनी मीडिया की मानें तो चीनी वैक्सीन को विकसित करने के लिए डॉक्टर चेन वेई की जमकर तारीफ हो रही है। हालांकि डॉक्र चेन की इस वैक्सीन को बनाने में कोई आधिकारिक भूमिका नहीं है। हालांकि इससे पहले उन्होंने कंपनी के लिए इबोला की वैक्सीन बनाई थी। यह एकमात्र ऐसी वैक्सीन नहीं है जिसे सफलता मिल रही है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 21 में से 8 चीनी वैक्सीन हैं। चीनी सेना एक और वैक्सीन को बनाने में मदद कर रही है।चीन के अलावा और कोई देश नहीं है जो कोरोना की प्रायोगिक वैक्सीन अपने सैनिकों को लगा रहा है। चीन में 741 गैर सैन्य शोधकर्ता पीएलए में काम कर रहे हैं। एडम कहते हैं कि चीनी सेना पर प्रायोगिक वैक्सीन का इस्तेमाल चीन के दुष्प्रचार का हिस्सा है। चीन यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि चीनी सेना देश के लिए बलिदान देने को तैयार है। साथ ही इसका एक फायदा यह है कि अगर चीनी वैक्सीन काम नहीं करती है तो इसकी जानकारी किसी को नहीं हो पाएगी।