चीनी सैनिकों को लगने लगा ‘कोरोना टीका
भारत में दो वैक्सीन का ट्रायल
पेइचिंग! एजेंसी ! दुनियाभर की सरकारें सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस का टीका लगाने पर विचार कर रही हैं। उधर, दक्षिण चीन सागर से लद्दाख तक दादागिरी दिखा रहे चीन ने सबसे पहले अपने सैनिकों को कोरोना का टीका लगाना शुरू किया है। पीपल्स लिबरेशन आर्मी की मदद से बनाई चीनी कोरोना वैक्सीन बड़े पैमाने पर सैनिकों को लगाई जा रही है। वह भी तब जब चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन का तीसरे चरण ट्रायल चल रहा है। इसके नतीजे आने से पहले ही चीन ने सैनिकों को लगाना शुरू कर दिया है।फाइनेंशियल टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में नागरिकों और सेना के लिए बनाई गई तकनीकों का एक-दूसरे के यहां इस्तेमाल आम बात है लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के समय में यह और बढ़ गया है।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से सबको उम्मीदें
जो वैक्सीन बनाई हैं, वे फेज 3 ट्रायल से गुजर रही हैं। दोनों वैक्सीन के निर्माताओं ने शुरुआती ट्रायल में वैक्सीन के असरदार होने का दावा किया था। एक वैक्सीन का ट्रायल 1,150 लोगों पर हो रहा है तो दूसरे के ट्रायल में कम से कम एक हजार लोग शामिल हो चुके हैं।चीनी मीडिया की मानें तो चीनी वैक्सीन को विकसित करने के लिए डॉक्टर चेन वेई की जमकर तारीफ हो रही है। हालांकि डॉक्र चेन की इस वैक्सीन को बनाने में कोई आधिकारिक भूमिका नहीं है। हालांकि इससे पहले उन्होंने कंपनी के लिए इबोला की वैक्सीन बनाई थी। यह एकमात्र ऐसी वैक्सीन नहीं है जिसे सफलता मिल रही है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 21 में से 8 चीनी वैक्सीन हैं। चीनी सेना एक और वैक्सीन को बनाने में मदद कर रही है।चीन के अलावा और कोई देश नहीं है जो कोरोना की प्रायोगिक वैक्सीन अपने सैनिकों को लगा रहा है। चीन में 741 गैर सैन्य शोधकर्ता पीएलए में काम कर रहे हैं। एडम कहते हैं कि चीनी सेना पर प्रायोगिक वैक्सीन का इस्तेमाल चीन के दुष्प्रचार का हिस्सा है। चीन यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि चीनी सेना देश के लिए बलिदान देने को तैयार है। साथ ही इसका एक फायदा यह है कि अगर चीनी वैक्सीन काम नहीं करती है तो इसकी जानकारी किसी को नहीं हो पाएगी।