पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ ने फिर से खोला आउटसोर्सिंग के खिलाफ मोर्चा
कारखाने का अस्तित्व खतरे में
गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ ने फिर से बढ़ते आउटसोर्सिंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यांत्रिक कारखाने में बैठक कर पदाधिकारियों ने कहा कि आउटसोर्सिंग की आड़ में रेलवे प्रशासन धीरे-धीरे रेलवे की पहचान को समाप्त करता जा रहा है। भविष्य के लिए यह शुभ संकेत नहीं हैं। जल्द ही संघ क्रमवार आंदोलन शुरू करेगा। मंडलमंत्री आरपी भट्ट ने कहा कि रेलवे प्रेस बंद हो गया। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन यांत्रिक कारखाने की मोटर शॉप बंद करने जा रहा है।
यही स्थिति रही तो कारखाने की सभी शॉप बंद हो जाएंगी।वक्ताओं ने कहा कि रेलवे प्रशासन पहले ही फाउंड्री शॉप, आशाकल, लोहारखाना, मशीन शॉप और टूल रूम बंद कर चुका है। जो शॉप बची हैं, उनमें आउटसोर्सिंग से कार्य कराया जा रहा है। कारखाने का अस्तित्व खतरे में है। इसलिए आंदोलन करना जरूरी हो गया है। बैठक में कहा गया कि सरकार वैसे भी रेलवे का निजीकरण कर रही है। इससे कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मडरा रहा है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से रेलवे के पद समाप्त करने की साजिश की जा रही है। रेल कर्मचारी सरकार की साजिश की शिकार बनते जा रहे हैं। सरकार की साजिश को संगठन पर्दाफाश करेगा। साथ ही सरकार के इस कदम का लगातार विरोध भी किया जाएगा।बैठक में कहा गया कि कर्मचारियों को अब अपने एवं पद को बचाने के लिए सरकार के खिलाफ मैदान में उतरना ही पड़ेगा। अन्यथा रेल कर्मचारियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए आंदोलन ही एक मात्र रास्ता है। बैठक में सभी कर्मचारियों से एकजुट रहने के लिए कहा गया है। साथ ही आंदोलन के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया। वक्ताओं ने संगठन के सभी सदस्यों से संपर्क करने पर बल दिया। बैठक में विनोद कुमार राय, डीके तिवारी, विजय पाठक, कुलदीप और ईश्चर चंद विद्यासागर आदि पदाधिकारी मौजूद थे।