सुल्तानपुर निकाय चुनाव: भाजपा का अभेद्य किला ढहाने में विपक्षियों को बहाना पड़ेगा पसीना
सुलतानपुर। ढाई दशक से नगर पालिका परिषद भारतीय जनता पार्टी का अभेद्य किला बना हुआ है। आगामी चुनाव में विपक्षी दलों के लिए किले को भेदना एक बड़ी चुनौती होगी। अंतिम बार वर्ष 2000 में समाजवादी पार्टी की साइकिल चली थी, लेकिन इसके बाद लगातार इस सीट पर भाजपा का कब्जा होता चला आ रहा है। आजादी के पूर्व ही वर्ष 1945 में नगर पालिका परिषद अस्तित्व में आ चुकी थी, जिसके पहले अध्यक्ष होने का सौभाग्य पं.करूणाशंकर एडवोकेट को मिला था, आगामी चुनाव में 21वें अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाएंगे।
निकाय चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है, सभी दल अपने-अपने मोहरे फिट कर रहे हैं। देखा जाए तो इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए पूरा जोर पिछले कई माह से लगा रही है। आप के लिए यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि यहां के मूलनिवासी और आप प्रदेश प्रभारी संजय सिंह राज्यसभा सदस्य भी हैं।
इसके अलावा कांग्रेस में भी नपा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार हो रही है, जबकि बसपा के खेमे में सुगबुगाहट तक नहीं सुनाई दे रही है। सबसे ज्यादा उत्साह भाजपा और समाजवादी पार्टी में टिकटों के लिए है। पालिका परिषद के लिए टिकट हासिल करने के लिए दावेदार जिला पदाधिकारियों से लेकर राजधानी तक का चक्कर काट रहे हैं। भाजपा में निर्वतमान अध्यक्ष श्रीमती बबिता जायसवाल के अलावा पूर्व में दो बार लगातार अध्यक्ष रह चुके प्रवीण अग्रवाल प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं।
इनके अलावा ज्ञान जायसवाल, अखिलेश जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष भोलानाथ अग्रवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष जगजीत सिंह छंगू, आलोक आर्या, पूजा कसौंधन सहित एक दर्जन दावेदार टिकट की लाइन में हैं। समाजवादी पार्टी में पूर्व अध्यक्ष सैयद रहमान उर्फ मानू, इसौली विधायक मो.ताहिर खां के भाई मो.रिजवान, पूर्व बसपा नेता निसार अहमद, विनोद जायसवाल, डॉ.आशीष द्विवेदी, नौशाद अहमद, राखी तिवारी, पूर्व सभासद आशा खेतान, प्रणव गुप्ता, गुफरान, अफजल अंसारी समेत 14 लोगों ने आवेदन किया है।
कांग्रेस में योगेश सिंह, वरूण मिश्रा, पूर्व सभासद अमोल बाजपेयी, आशारानी श्रीवास्तव, जीशान अहमद, दिनेश मिश्रा, महेश मिश्रा, ओमप्रकाश शर्मा और रेनू श्रीवास्तव कतार में हैं। जबकि आम आदमी पार्टी ने पहले ही डॉ.संदीप शुक्ला को अपना उम्मीदवार घोषित कर रखा है। आप के आने से आगामी चुनाव में मुकाबला दिलचस्प होने के आसार बन रहे हैं।
आजादी से पूर्व अस्तित्व में आई थी नपा
स्थानीय नगर पालिका परिषद का अस्तित्व आजादी के पूर्व का है। 1945 से 1953 तक पं.करूणाशंकर एडवोकेट पहले अध्यक्ष रहे। इसके उपरांत 1953-1956 तक गनपत सहाय एडवोकेट, 1956-1957 तक रमाशंकर एडवोकेट, 1957-59 तक वृंदाप्रसाद एडवोकेट, 1964 से 65 तक द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, 1966-1972 तक सरदार गुरूदयाल सिंह, 1973-1990 तक लगातार 17 वर्ष तक रामनिवास अग्रवाल एडवोकेट अध्यक्ष की कुर्सी पर रहे। अगस्त 1993 से नवंबर 1993 तक रामनिवास अग्रवाल अध्यक्ष रहे।
16वें अध्यक्ष भोलानाथ अग्रवाल 1995-2000 तक रहे। 2000-2005 तक सैयद रहमान उर्फ मानू भाई, 2006 से 2017 तक लगातार दो बार प्रवीण अग्रवाल एडवोकेट अध्यक्ष रहे। इसके अलावा अब्दुल माजिद अंसारी, कृष्णचंद्र श्रीवास्तव एडवोकेट, जितेंद्र नारायण सक्सेना और शिवकुमार अग्रहरि को कुछ महीनों के लिए कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अवसर मिला था।