बसपा मुखिया मायावती ने कृषि तथा किसानों की अनदेखी पर जताई चिंता, बोलीं- सरकार तत्काल ध्यान दे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल मानसून सत्र के दौरान बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती भी बेहद सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश में भले ही बहुजन समाज पार्टी का सिर्फ एक ही विधायक है, लेकिन मायावती ने लगातार ट्वीट से मोर्चा संभाल रखा है। बसपा मुखिया मायावती ने गुरुवार को तीन ट्वीट से केन्द्र तथा योगी आदित्यनाथ सरकार का ध्यान किसानों तथा कृषि पर आकृष्ट कराया है। मायावती ने कहा कि भारत के कृषि प्रधान होने के बावजूद खेती व किसान हित के प्रति सरकारों का काफी कम ध्यान देना हमेशा से ही बड़ी चिन्ता का कारण रहा है।उन्होंने कहा कि अब तो उनकी उपज की वाजिब कीमत नहीं मिलना, गन्ना किसानों का भारी बकाया व पशुधन की हानि आदि ग्रामीण भारत को त्रस्त कर रहे हैं। सरकार इस पर तत्काल ध्यान दे।बसपा प्रमुख ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी विधान सभा में स्वीकार किया है कि प्रदेश के गन्ना किसानों का भारी बकाया है। जिसके सम्बंध में सरकार को अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाते हुए इन बकायों की यथाशीघ्र पूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए कड़ा कदम जरूर उठाना चाहिए।बसपा प्रमुख ने कहा कि इसके साथ साथ ही साथ गुजरात, राजस्थान, एमपी से लेकर उत्तर प्रदेश में लम्पी वायरस की चपेट में असंख्य घरेलू जानवरों की मौत ने गरीब ग्रामीण भारत को नए संकट में डाल रखा है। पशुधन आत्मनिर्भर ग्रामीण जीवन की रीढ़ है। इसी कारण उत्तर प्रदेश के साथ अन्य राज्य की सरकारें प्रभावित लोगों की समुचित आर्थिक मदद जरूर करें।मायावती ने इससे पहले उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी पर भी निशना साधा था। मायावती ने कहा कि भाजपा की घोर जातिवादी, साम्प्रदायिक व जनहित-विरोधी नीतियों आदि के विरुद्ध उत्तर प्रदेश की सेक्युलर शक्तियों ने समाजवादी पार्टी को वोट देकर यहां प्रमुख विपक्षी पार्टी तो बना दिया, किन्तु यह पार्टी भाजपा को कड़ी टक्कर देने में विफल साबित होती हुई साफ दिख रही है। ऐसा क्यों है, इस बारे में समाजवादी पार्टी विचार जरूर करे। समाजवादी पार्टी के कमजोर पडऩे के कारण है कि भाजपा सरकार को यूपी की करोड़ों जनता के हित व कल्याण के विरुद्ध पूरी तरह से निरंकुश व जनविरोधी सोच व कार्यशैली के साथ काम करने की छूट मिली हुई है। यह बड़ी चिंता का विषय है कि विधान सभा में भी भारी संख्या बल होने के बावजूद योगी आदित्यनाथ सरकार के विरुद्ध समाजवादी पार्टी काफी लाचार व कमजोर दिखती है।

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