सीएम योगी ने की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा

 बोले-शिक्षा में तकनीक और नवाचार को दें बढ़ावा, गुणवत्ता पर हो फोकस

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा की. बैठक में बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक, कृषि व व्यावसायिक शिक्षा विभाग के मंत्रीगण व अधिकारी गणों की उपस्थिति रही. इस दौरान बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह भी उपस्थित रहे. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी विचारों से प्रकाशित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान के सैद्धांतिक और व्यावहारिक आयामों का बेहतर समावेश है. यह नवीन नीति समाज को स्वाबलंबन और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध होगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वित होने से विद्यार्थी किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उनका व्यावहारिक व तकनीकी ज्ञान भी समृद्ध होगा.मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र के अनेक शैक्षिक संस्थान सराहनीय कार्य कर रहे हैं. भारतीय संस्कृति के ‘आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वत:/’ के सूत्र वाक्य को आत्मसात करते हुए उनके बेस्ट प्रैक्टिसेज को शासकीय संस्थानों में लागू किया जाना चाहिए. सीएम ने दिए निर्देश -प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों के नैक प्रत्यायन की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री जी ने सभी पात्र संस्थानों की तत्काल नैक ग्रेडिंग कराये जाने के निर्देश दिए. -मुख्यमंत्री ने अकादमिक संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. अकादमिक संस्थान डिग्री बांटने के केंद्र बन कर न रह जाएं. समाज के प्रति उनकी जवाबदेही है, उन्हें उसकी पूर्ति भी करनी चाहिए.-गुणवत्तापरक शोध पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में स्थानीय समस्याओं पर अन्तर्विषयी शोध कार्यों को प्रोत्साहित किया जाए. शोध के विषय सोशल और नेशनल रेलेवेंट हों। ग्लोबल सिगनीफिकेन्ट रिसर्च को बढ़ावा देना होगा.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या का 77.7% ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. अतः उन्नत भारत अभियान स्कीम (UBA) के तहत अधिक से अधिक शिक्षा संस्थानों को ग्रामीण इलाकों से जोड़ना चाहिए और ग्राम्य विकास से सम्बंधित पाठ्यक्रमों के संचालन पर विशेष बल देना चाहिए.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग-अकादमिक संबंधों को बढ़ाना चाहिए. सोशल कनेक्ट के जरिए शिक्षा संस्थानों द्वारा गांवों में लघु उद्योग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
  • माध्यमिक विद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री जी ने करिकुलम एंड पेडागॉजी, मूल्यांकन एवं परीक्षा सुधार, शिक्षकों की क्षमता वृद्धि एवं शिक्षकों की नियुक्ति, कौशल उन्नयन की दिशा में सुधार के लिए विशेष प्रयास की जरूरत बताई.
  • पाठ्यक्रम निर्धारण की प्रक्रिया की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि माध्यमिक कक्षाओं में हमें समसामयिक तकनीकी जानकारी देने वाले विषयों को पाठ्यचर्या में शामिल करना चाहिए. आपदा प्रबंधन, सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग, डेटा सिक्योरिटी, ट्रैफिक मैनेजमेंट, फायर सेफ्टी जैसे विषयों की प्रारंभिक जानकारी भी दी जाए.
  • मुख्यमंत्रीजी ने कहा कि प्रदेश के सबसे बड़े अंतर्विभागीय कन्वर्जेंस कार्यक्रम ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ और ‘स्कूल चलो अभियान’ का 1.33 लाख स्कूलों में सफल क्रियान्वयन हुआ है.विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए ₹6200 करोड़ से अधिक की धनराशि का निवेश किया गया है.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि विद्यालय में बच्चों के दाखिले के साथ ही उनके गणवेश और पाठ्य सामग्री की उपलब्धता हो जाए. परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के गणवेश, स्वेटर, स्कूल बैग के लिए सीधे अभिभावक के बैंक खाते में धनराशि भेजी जा रही है. पारदर्शिता और सहजता के लिहाज से इस बदलाव के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं.
  • मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि शिक्षकों की विद्यालय में उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो. प्रॉक्सी टीचर की एक भी गतिविधि स्वीकार्य नहीं है। प्रत्येक परिषदीय विद्यालय में स्मार्ट क्लास और बुक बैंक की व्यवस्था कराई जाए.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. निपुण भारत अभियान के तहत साप्ताहिक शिक्षण योजना, स्कूलों में पुस्तकालय और स्कूल लीडरशिप प्रोग्राम आदि अभिनव योजनाओं का क्रियान्वयन किया है.
  • मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रत्येक विकास खंड में 05 से 06 विद्यालयों के लक्ष्य के साथ अगले चार वर्षों में 5,000 ‘अभ्युदय कंपोजिट विद्यालयों की स्थापना कराई जाए. यह कार्य तेजी से किया जाए. हर जनपद में न्यूनतम एक मॉडल कम्पोजिट विद्यालय की स्थापना हो। इस कार्य के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी. -मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी के रूप में विकसित करने के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं. विद्यालयों में तकनीक को बढ़ावा दिया जाए.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ का सफलता पूर्वक क्रियान्वयन किया जाए. इन विद्यालयों में कुशल संसाधन एवं प्रभावी गवर्नेंस के लिए यथाशीघ्र राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण का गठन किया जाए.
  • मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्कूल जाने वाले बच्चों को तकनीक के अत्यधिक जोखिम से बचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण की एक हाइब्रिड प्रणाली विकसित की जानी चाहिए.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षा में निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों में निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
  • मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि माध्यमिक कक्षाओं में प्रयोग आधारित शैक्षिक व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाए. सभी राजकीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना हो. प्रतिष्ठित संस्थाओं के सहयोग से बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य सतत जारी रखा जाए.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षा में प्रत्येक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ा जाना आवश्यक है. स्थानीय मांग और आवश्यकताओं को देखते हुए ट्रेड्स का निर्धारण किया जाए. सेवा, विनिर्माण और कृषि सेक्टर पर फोकस करें। प्रत्येक विद्यालय में एक ट्रेड ओडीओपी के अन्तर्गत चयनित उत्पाद से संबंधित हो.
  • मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी 27,907 माध्यमिक विद्यालयों के लिए पृथक-पृथक वेब पोर्टल तैयार कराया जाए. पोर्टल पर कार्यरत शिक्षकों के बायोडाटा से लेकर, छात्रों की संख्या, विषयों की उपलब्धता, परीक्षा परिणाम, इतिहास, सामाजिक अवदान सहित विद्यालय से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध हो.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश 60, 70, 80 वर्ष अथवा और अधिक पुराने बहुत से माध्यमिक विद्यालय हैं. इसमें राजकीय विद्यालय भी हैं और सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालय भी। आज इनके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है. इस संबंध में एक बेहतर कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत किया जाए.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में वर्तमान सत्र से स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी कर दिया गया है. अब आगामी सत्र से परास्नातक स्तर पर भी इसे लागू किया जाए।
  • अब तक 11 राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा स्थानीय उद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प, खादी, ODOP के साथ किये गए 58 समझौतों पर हर्ष प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री जी ने ऐसे प्रयास सतत जारी रखने की जरूरत बताई.
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि जनवरी, 2022 में भारत सरकार के NEAT कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के 4.13 लाख छात्रों को निःशुल्क कौशल विकास पाठ्यक्रमों का लाभ मिला. नियमित अंतराल पर ऐसे आयोजन किए जाने चाहिए.
  • मुख्यमंत्री ने शिक्षा तंत्र को तेजी से बदलते रोजगार परिदृश्य एवं वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल बनाने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता बताई.
  • बैठक में प्रो. डीपी सिंह की विशिष्ट उपस्थिति रही. प्रो. डीपी सिंह का परिचय कराते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रो. सिंह विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति होने के साथ साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व चेयरमैन रहे हैं. आपके कार्यकाल में ही देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तैयार हुई थी.
  • प्रो. डीपी सिंह ने ‘उत्तर प्रदेश में शिक्षा: नए क्षितिज की ओर’ विषय पर एक प्रस्तुतिकरण भी दिया. उन्होंने बताया कि एनईपी का उद्देश्य “पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त कर अच्छे व्यक्तित्व के धनी वैश्विक नागरिक का निर्माण किया जाना है. भारत को वैश्विक स्तर पर शैक्षिक रूप से महाशक्ति बनाना और भारत में शिक्षा का सार्वभौमीकरण कर शिक्षा की गुणवत्ता को उच्च करना है.
  • प्रो. डीपी सिंह ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से एनईपी 2020 के विभिन्न तकनीकी बिंदुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नई नीति के वर्तमान में चल रही 10+2 के मॉडल के स्थान पर पाठ्यक्रम में 5+3+3+4 की शैक्षिक प्रणाली को लागू किया जा रहा है.
  • प्रो. डीपी सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के लिए केंद्र और राज्य सरकार के निवेश का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र सहयोग के लिए देश की 6% जीडीपी के बराबर शिक्षा क्षेत्र में निवेश करेगी.
  • प्रो. डीपी सिंह ने एनआईआरएफ की ताजा रैंकिंग का जिक्र करते हुए उत्तर प्रदेश में प्रभावी शैक्षिक व्यवस्था के लिए सुझाव भी दिए. एनईपी के प्रावधानों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि हमें वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में GER को 50% तक बढ़ाना होगा. प्रदेश में GER बढ़ाने हेतु प्रत्येक स्तर पर नए शिक्षा संस्थानों की स्थापना तथा वर्तमान संस्थानों में अधोसंरचना का विकास किया जाना चाहिए.
  • प्रो. डीपी सिंह ने कहा कि प्रदेश में 05 स्पेशल एजुकेशन जोन चिन्हित कर प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के उत्कृष्ट सरकारी और निजी संस्थान स्थापित करने का प्रयास किया जाना चाहिए.
  • प्रो. डीपी सिंह ने प्रत्येक जिले में एक उत्कृष्ट मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी की स्थापना को आवश्यकता बताया. उन्होंने कहा कि जिन जिलों में विश्वविद्यालय है. उन्हें बहुविषयक बनाया जाए. उनकी गुणवता में सुधार पर फोकस करते हुए अध्ययन-अध्यापन में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास, योग शिक्षा, मूल्य आधारित शिक्षा, चरित्र निर्माण, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, सामाजिक सरोकार राष्ट्रीय विकास और वैश्विक परिदृश्य की समझ पर जोर दिया जाना चाहिए।

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