यूक्रेन छोड़ने वालों की संख्या 50 लाख के पार, गुतारेस बोले- पुतिन, जेलेंस्की से करेंगे मुलाकात

कीव : रूस यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले किए जा रहा है. लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. बता दें कि,यूक्रेन में युद्ध शुरू हुए करीब आठ हफ्ते हो रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि 24 फरवरी को रूसी हमला शुरू होने के बाद से अब तक 50 लाख से ज्यादा यूक्रेनी लोग पलायन कर चुके हैं. जंग की भयानक तस्वीरें सामने आने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस (UN Secretary General Antonio Guterres) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Vladimir Putin and Volodymyr Zelenskyy) को पत्र लिखकर ‘यूक्रेन में शांति बहाली के वास्ते तत्काल कदमों पर चर्चा करने के लिए’ मॉस्को और कीव में उनकी अगवानी करने को कहा है. महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि मंगलवार दोपहर दो अलग-अलग पत्र रूस और यूक्रेन के स्थायी मिशनों को सौंपे गए. दुजारिक ने कहा कि इन पत्रों में महासचिव ने पुतिन से उन्हें मॉस्को में और जेलेंस्की को कीव में उनकी अगवानी करने के लिए कहा है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने पत्र में उल्लेख किया है कि यूक्रेन और रूस दोनों संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य हैं और हमेशा से इस संगठन के प्रबल समर्थक रहे हैं.

बता दें कि, यूक्रेन में युद्ध शुरू हुए करीब आठ हफ्ते हो रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने बुधवार को कहा कि 24 फरवरी को रूसी हमला शुरू होने के बाद से अब तक 50 लाख से ज्यादा यूक्रेनी लोग पलायन कर चुके हैं. यूएनएचसीआर ने 30 मार्च को कहा था कि 40 लाख लोग यूक्रेन से भाग गए हैं. ये जिनेवा स्थित यूएनएचसीआर द्वारा अनुमानित पलायन से कहीं ज्यादा है. यूक्रेन में युद्ध पूर्व जनसंख्या 4.4 करोड़ है और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने कहा कि यूक्रेन के अंदर 70 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं और बुधवार तक 50 लाख 30 हजार लोग देश छोड़ चुके थे.

एजेंसी के मुताबिक 1.30 करोड़ लोगों के यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे होने की उम्मीद है. यूएनएचसीआर की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया, हमने देखा है कि यूक्रेन की लगभग एक चौथाई आबादी, कुल मिलाकर 1.2 करोड़ से अधिक लोगों को अपने घरों से पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है, इसलिए यह लोगों की एक चौंका देने वाली संख्या है. इन लोगों में से आधे से अधिक, करीब 28 लाख सबसे पहले पोलैंड भाग गए. उनमें से बहुत से लोग हालांकि वहां रुके हैं, लेकिन काफी लोगों के वहां से आगे चले जाने की सूचना है. सव्यिचकिना भी अपनी बेटियों को जर्मनी ले जाने पर विचार कर रही है.

रूस ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से पर हमले तेज़ किए : यूक्रेन के बंदरगाह शहर मारियुपोल (Ukraine’s port city Mariupol) से हजारों लोगों को निकालने की उम्मीद जगने के बीच रूस ने इस पूर्वी औद्योगिक केंद्र पर नियंत्रण के लिए हमले तेज़ कर दिए. मारियुपोल पर हमले तेज करने के अलावा रूसी बलों ने डोनबास के मोर्चे पर अपने हमले तेज़ कर दिए हैं जहां कोयले की खदाने, धातु संयंत्र और कारखाने हैं जो यूक्रेन की अर्थव्यवस्था के लिए अहम है. अगर रूस इस क्षेत्र पर कब्जा करने के अपने प्रयास में सफल हो जाता है तो उससे यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने के असफल प्रयास के बावजूद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक बड़ी जीत मिलेगी. यूक्रेन के सैनिकों ने कहा था कि रूसी सेना ने एक विशाल इस्पात संयंत्र के बचे हुए हिस्से को समतल करने के लिए भारी बम बरसाए और एक अस्थायी अस्पताल पर भी हमला किया जहां लोग ठहरे हुए थे. इन खबरों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी. वहीं रूस के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि उसके बल यूक्रेनी लक्ष्यों पर हमले तेज कर किए हुए हैं और तोप से 1053 हमले किए गए और 73 हवाई हमले किए गए. मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनशेनकोव ने यह भी कहा कि दक्षिणी यूक्रेन में खेरसोन क्षेत्र में यूक्रेनी सैनिकों और वाहनों पर मिसाइल हमले किए गए. उन दावों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका .यूक्रेन की सेना के जनरल स्टाफ ने एक बयान में कहा कि मारियुपोल में एजोवस्टाल इस्पात मिल पर कब्जा करना और इस तरह पूरे मारियुपोल पर अधिकार करना रूस की शीर्ष प्राथमिकता है. उसने कहा कि रूस पूरब में विभिन्न स्थानों पर आक्रामक कार्रवाई जारी रखे हुए है और वह यूक्रेन की सुरक्षा में कमजोर बिंदु ढूंढ रहा है.

मारियुपोल को युद्ध के शुरुआती दिनों से ही घेर लिया गया था और शहर का काफी बड़ा हिस्सा तबाह हो चुका है. इस जंग की वजह से देश से 50 लाख से ज्यादा लोग भाग चुके हैं. उप प्रधानमंत्री इरयाना वेरेशेचुक ने कहा कि मारियुपोल से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को निकालने के लिए एक मानवीय गलियारा खोलने के लिए बुधवार दोपहर को एक प्रारंभिक समझौता हुआ है. उन्हें इस नगर से पश्चिम की ओर यूक्रेन-नियंत्रित शहर ज़ापोरिज्जिया में ले जाया जाएगा. मारियुपोल के मेयर वादिम बॉयचेंको ने स्थानीय लोगों से शहर छोड़ने का आग्रह किया, हालांकि इस तरह के पहले के समझौते कामयाब नहीं हुए थे.

उन्होंने नगर परिषद की ओर से जारी बयान में कहा, डरें नहीं और ज़ापोरिज्जिया की ओर जाएं जहां आपको सभी जरूरी मदद मिलेगी जिनमे खाना, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं और सबसे अहम चीज़ आपको सुरक्षा मिलेगी. उन्होंने कहा कि दो लाख लोग पहले ही शहर छोड़ चुके हैं और शहर की युद्ध पूर्व आबादी चार लाख से अधिक थी. बॉयचेंको ने कहा कि लोगों को निकालने के लिए बसों का इस्तेमाल किया जाएगा और उन्हें एज़ोवस्टल इस्पात मिल के पास बस उपलब्ध होगी.

लोगों को निकालने को लेकर रूस की ओर से तत्काल कोई पुष्टि नहीं की गई है जिसने बुधवार को यूक्रेन के रक्षकों को आत्मसमर्पण करने के लिए एक नया अल्टीमेटम जारी किया है. यूक्रेन के लोगों ने विशाल इस्पात संयंत्र की सुरंगों और बंकरों को छोड़ने की पिछली मांगों को नजरअंदाज कर दिया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रूसी सेना युद्ध में अपना सब कुछ झोंक रही है. देश के अधिकतर सैनिक यूक्रेन में या रूसी सीमाओं पर मौजूद हैं. जेलेंस्की ने रात को देश के नाम जारी एक वीडियो संदेश में कहा, उन्होंने लगभग हर उस उस चीज को निशाना बनाया है, जो हमें रूस के खिलाफ लड़ने में सक्षम बनाती है. जेलेंस्की ने कहा कि केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के रूसी दावों के बावजूद उसकी सेना द्वारा आवासीय क्षेत्रों पर हमले करना और नागरिकों की हत्या करना जारी है. उन्होंने कहा, “इस युद्ध में रूसी सेना खुद को विश्व इतिहास में हमेशा के लिए दुनिया की सबसे बर्बर और अमानवीय सेना के रूप में दर्ज करा रही है.

राजनयिक ने कहा रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत पर पश्चिमी देशों का भारी दबाव था : रूस के एक राजनयिक ने बुधवार को यहां कहा कि रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के भू-राजनीतिक खेल और यूक्रेन के साथ संघर्ष के बाद रूस को अलग-थलग करने के लिए भारत पर पश्चिमी देशों का जबरदस्त दबाव था. दक्षिण भारत में रूसी महावाणिज्यदूत ओलेग अवदीव ने पश्चिमी देशों के इस विचार को बेतुका करार दिया और कहा कि दुनिया अत्यधिक जटिल हो चुकी है और पश्चिमी देशों की योजनाएं विफल हो चुकी हैं. उन्होंने कहा, वे (पश्चिमी देश) अंतरराष्ट्रीय कानून के सार्वभौम मानदंडों और सिद्धांतों के आधार पर न्यायसंगत और समान बहुध्रुवीयता, जिसमें कोई दोहरा मापदंड और टकराव का रवैया नहीं होना चाहिए, पर आधारित स्वतंत्र राष्ट्रों की अपरिवर्तनीय पसंद को स्पष्ट रूप से कम आंकते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट था कि भारत और अन्य समान विचारधारा वाले देश पश्चिमी दबाव के आगे झुकने वाले नहीं थे और संयुक्त राष्ट्र एवं इसकी सुरक्षा परिषद और अन्य प्रारूपों में द्विपक्षीय व बहुपक्षीय रूप से अपने वैध राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ थे. रूस और भारत के विदेश मंत्रियों की हालिया बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों ने एक नयी वास्तविकता के अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए द्विपक्षीय संबंधों और आगे बढ़ाने की पारस्परिक प्रतिबद्धता को दोहराया.

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