मध्य एशियाई देशों के साथ संपर्क भारत की प्रमुख प्राथमिकता में से एक है: राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने रविवार को अश्गाबात में मौजूद अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान में तुर्कमेनिस्तान के युवा राजनयिकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मध्य एशियाई देशों के साथ संपर्क भारत की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे और अश्गाबात समझौते दोनों का सदस्य है। हमने ईरान में चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए कदम उठाए हैं जो मध्य एशियाई देशों के लिए समुद्र तक एक सुरक्षित, व्यवहार्य और निर्बाध पहुंच प्रदान कर सकता है। भारत के राष्ट्रपति ने अश्गाबात में मौजूद अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान में तुर्कमेनिस्तान के युवा राजनयिकों को संबोधित किया।राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के मुताबिक राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कनेक्टिविटी का विस्तार करते हुए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कनेक्टिविटी की पहल सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संबंध में परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण हो। उन्होंने आगे कहा कि भारत इस क्षेत्र में सहयोग, निवेश और संपर्क बनाने के लिए तैयार है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विदेश नीति आजादी के बाद से लगातार विकसित हो रही है। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में भारत के उदय और भारत की तकनीकी क्षमताओं की प्रासंगिकता ने प्रमुख वैश्विक वार्ताओं को आकार दिया है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि विश्व के दक्षिणी देशों के साथ भारत की भागीदारी में काफी वृद्धि हुई है जबकि प्रमुख शक्तियों के साथ इसके संबंध और भी गहरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत की विदेश नीति के प्रमुख स्तंभों में से एक “नेबरहुड फर्स्ट” पॉलिसी रही है। अपने पड़ोसियों के साथ भारत के जुड़ाव का व्यापक दर्शन यह सुनिश्चित करना है कि वे भी हमारे आर्थिक विकास और प्रगति से लाभान्वित हों। इस प्रकार, हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का फोकस कनेक्टिविटी, व्यापार और निवेश को बढ़ाना तथा एक सुरक्षित और स्थिर पड़ोसी का निर्माण करना है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि भारत का भारत-प्रशांत क्षेत्र के साथ जुड़ाव कई सदियों पुराना है जबकि ‘इंडो-पैसिफिक’ को हाल ही में भू-राजनीतिक शब्दावली में जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की गतिशीलता और जीवन शक्ति इसे एक वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाती है। हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक खुली, संतुलित, नियम-आधारित और स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के पक्ष में हैं।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय विदेश नीति के फोकस क्षेत्रों में से एक मध्य एशियाई देशों के साथ हमारे ऐतिहासिक संबंधों का पुनरोद्धार रहा है, जो हमारे ‘विस्तृत पड़ोस’ का हिस्सा है। विकासशील देशों के रूप में, भारत और मध्य एशियाई देश समान दृष्टिकोण साझा करते हैं। हम आतंकवाद, उग्रवाद, कट्टरवाद, मादक पदार्थों की तस्करी आदि जैसी एक समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के अधिकांश मध्य एशियाई देशों के साथ रणनीतिक संबंध भी हैं।
यूक्रेन में जारी संघर्ष के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत की स्थिति दृढ़ और सुसंगत रही है। हमने इस बात पर जोर दिया है कि वर्तमान वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय अखंडता एवं राष्ट्रों की संप्रभुता के सम्मान में निहित है। हम बिगड़ती मानवीय स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। हमने हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने एवं बातचीत तथा कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि हमने यूक्रेन को मानवीय सहायता भी प्रदान की है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सबसे सार्वभौमिक एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि संगठन है। बहुपक्षवाद में सुधार के लिए भारत के आह्वान के मूल में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सुधार है, जो समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करता है। इस संदर्भ में, भारत एक सुधारी हुई और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारी स्थायी सदस्यता के लिए तुर्कमेनिस्तान के समर्थन को महत्व देता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे ‘‘अरकाडग के युग में’’ तुर्कमेनिस्तान आगे बढ़ा है, भारत एक पुराने मित्र के रूप में हमारे लोगों के सामूहिक सपनों को साकार करने के लिए इसके साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तुर्कमेनिस्तान की उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच साझेदारी को और बढ़ावा देने के लिए एक नई गति प्रदान करेगी।
राष्ट्रपति कोविंद ने इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान में एक ‘इंडिया कॉर्नर’ का भी उद्घाटन किया। भारत से संबंधित गतिविधियों के आयोजन से संस्थान के छात्रों में भारत को लेकर रूचि पैदा हो, इसके लिए ‘इंडिया कॉर्नर’ की स्थापना की गई। भारत सरकार ने ‘इंडिया कॉर्नर’ को कंप्यूटर, भारत से संबंधित किताबें, संगीत-वाद्ययंत्र और अन्य सामग्री प्रदान की है।
इस कार्यक्रम से पहले, राष्ट्रपति ने अश्गाबात में पीपुल्स मेमोरियल कॉम्प्लेक्स का दौरा किया और मोनोमेंट ऑफ इटरनल ग्लोरी के स्मारक पर माल्यार्पण किया। इसके अलावा उन्होंने बैग्टीयार्लिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का भी दौरा किया, जहां उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने पुष्पांजलि अर्पित की और भारतीय प्रशिक्षक की देखरेख में तुर्कमेन लोगों द्वारा किए जा रहे योग प्रदर्शन को भी देखा। राष्ट्रपति कोविंद तुर्कमेनिस्तान और नीदरलैंड की अपनी राजकीय यात्रा के अंतिम चरण के लिए कल सुबह (4 अप्रैल, 2022) को नीदरलैंड के लिए रवाना होंगे।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)