लखनऊ में स्मारकों का नहीं हो रहा रखरखाव, हर साल छह करोड़ खर्च के बाद भी बुरा हाल

लखनऊ । स्मारक संग्रहालयों संस्थाओं पार्क एवं उपवन जिस उद्देश्य से बनाए गए थे, उनका उद्देश्य भले पूरा हो रहा हो, लेकिन रखरखाव बेहतर तरीके से नहीं किया जा रहा है। कही पत्थर उखड़ रहे हैं तो कही बाउंड्रीवाल टूटी है। ऐसा नहीं है कि स्मारक की मरम्मत के लिए फंड नहीं है, हर साल भारी भरकम बजट इनके रखरखाव में पर खर्च किया जाता है, इसके बाद भी स्मारकों का बुरा हाल हो रहा है। जनता की गाढ़ी कमाई से बनाए गए यह स्मारक आज अव्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं। अफसरों के मुताबिक, छह करोड़ रुपये हर साल मरम्मत कार्य के लिए खर्च किए जा रहे हैं। स्मारक संग्रहालयों संस्थाओं पार्क एवं उपवन की देखभाल के लिए हजारों कर्मचारी सिर्फ लखनऊ में तैनात है। कारपस फंड के रूप में सवा तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक स्मारक के फंड में है। हर साल स्मारकों के रखरखाव, मरम्मत कार्य के लिए छह करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं, इसके बाद भी कही पत्थर उखड़ रहा है, तो कही बाउंड्रीवाल गिरी पड़ी है। शौचालयों में गंदगी और फर्श में पत्थर ढंस रहे हैं। बसपा सरकार में इन स्मारकों को बनवाया गया था। समय समय पर इनके रखरखाव के लिए गठित कमेटी निरीक्षण करती है और मरम्मत से जुड़ा कार्य भी कराया जाता है, लेकिन पिछले कई माह से टूटी बाउंड्रीवाल पर जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ी।बता दें कि तत्कालीन उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश द्वारा स्मारकों का निरीक्षण किया गया था और अव्यवस्थाओं पर कई कर्मियों पर कार्रवाई भी की थी, इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। वहीं पवन कुमार गंगवार, मुख्य प्रबंधक, स्मारक संग्रहालयों संस्थाओं पार्क एवं उपवन कहते हैं कि जो कमियां हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से ठीक कराया जा रहा है, जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी तय है, जो अब तक अनदेखी करते रहे हैं।

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