मुसीबत के बक्त फैसल ने अपने दोस्त कमल को नहीं छोड़ा अकेला, इसे कहते हैं गंगा जमुनी तहजीब
गाजियाबाद। लायक हुसैन। कहते हैं कि मुहब्बत नफ़रत पर हमेशा भारी पड़ती है जिसका जीता जागता उदाहरण सभी के सामने मौजूद है एक मुस्लिम दोस्त और एक हिन्दू दोस्त की कहानी हम सबके लिए एक सबक है ??
शायद हम यह भूल जाते हैं कि मोहब्बत वह चीज है जो दिल में बसी हुई एक रूह की तरह होती है लेकिन हमें समझ आए तो हम समझें, और अफसोस इस बात का है कि बहुतायत लोगों को आज के समय में सिर्फ और सिर्फ नफ़रत फैलाने के सिवा कोई और काम नहीं है अरे हम जिस मिट्टी में जन्में हैं और उसी मिट्टी में एक दिन हमें मिल जाना है तो फिर यह आपस में नफ़रत कैसी, तू हिन्दू, तू मुस्लिम, तू फलां, तू ढिकां अरे हमें गंगा जमुनी तहजीब को नहीं भूलना चाहिए और इसकी ताजा-तरीन मिसाल आपके सामने है, एक बात तो आप जान लीजिए कि जब इंसान मुसीबत में होता है तो उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वह इस मुसीबत से बच जाए, इस बक्त जो हमारे नौजवान भाई और बहनें अपने वतन से दूर यूक्रेन में मुसीबतों का सामना कर रहे हैं तो वह यही चाहेंगे कि वह कब और कैसे अपने वतन पहुंचे और अपनों के गले लगें, इसी कड़ी में यूक्रेन में फंसे दो दोस्त जिनमें एक मुस्लिम और एक हिन्दू है लेकिन इन दो दोस्तों ने हम सबको एक सबक जरूर दिया है कि एक दोस्त दूसरे दोस्त की भावनाओं को ठेस न पहुंचे ऐसा काम किया एक तरफ फ्लाइट की टिकट फैसल ने कैंसल करा दी चूंकि उसके दोस्त कमल का टिकट नहीं हुआ तो जाहिर तौर पर फैसल ने अपना टिकट भी कैंसिल कर दिया, फैसल की माँ बताती हैंकि वह दोनों दोस्त हैं और उन्हें अपने बेटे पर गर्व है कि उसने अपने दोस्त कमल को अकेला नहीं छोड़ा फैसल की माँ कहती हैं कि यह जो लोग हिन्दू मुस्लिम करके नफ़रत के बीज बोने का काम कर रहे हैं रह बेहद निंदनीय बात है चूंकि हम सब इंसान हैं और जो बच्चा जिस परिवार में जन्म लेता है वही कहलाया जाने लगता है लेकिन शायद हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि सबके अंदर खून का तो एक ही कलर है तो फिर यह नफ़रत कैसी, इसी को कहते हैं कि आज नफरत पर मोहब्बत पड़ी भारी इसी से हम सबको सीख लेनी चाहिए।