93 साल की उम्र में कोर्ट ने एक शख्‍स को दिया दोषी करार

5 हजार से अधिक लोगों की हत्‍या में था शामिल

बर्लिन। नाम: ब्रूनो डी, उम्र 93 वर्ष, आरोप: 5232 यहूदियों की हत्‍या में की थी मदद, कोर्ट का फैसला: दोषी करार। ये केवल एक इंसान की पहचान ही नहीं है बल्कि दूसरे विश्‍व युद्ध की उस भयानक त्रासदी का एक कड़वा सच है जिसमें नाजियों ने यहूदियों को गाजर-मूली की तरह काट दिया था। गुरुवार को जब दूसरे विश्‍व युद्ध के एक सैनिक को कोर्ट में लाया गया तो वो पल इसी इतिहास के खून से सने पन्‍नों को पलटने जैसा ही था। हमबर्ग की कोर्ट ने 93 वर्ष ब्रूनो को इन हत्‍याओं का दोषी करार दिया।दूसरे विश्‍व युद्ध में तानाशाह हिटलर के नेतृत्‍व में नाजी सेना ने अपना जो रूप दिखाया वो सबकुछ इतिहास के पन्‍नों में दर्ज है। नाजियों द्वारा कैदियों के लिए बनाए गए कैंप आज भी रौंगटे खड़े कर देते हैं। इन कैंपों की दीवारों पर आज भी उस पल के दर्द की दास्‍तां साफतौर पर देखी जा सकती है। यहां पर उनके चीखने की आवाजों को आज भी महूसस किया जा सकता है। हमबर्ग कोर्ट ने ब्रूनो को जिन हत्‍याओं में मदद का दोषी माना उनमें से ज्‍यादातर की हत्‍या सिर के पीछले हिस्‍से में गोली मारकर की गई थी। एक म्‍यूजियम की वेबसाइट के हवाले से रॉयटर्स ने लिखा है कि दूसरे विश्‍व युद्ध में करीब 65 हजार लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर यहूदी ही थी। इनकी मौत सिर में गोली लगने के अलावा जहरीली गैस की वजह से दम घुटने से हुई थी। दूसरे विश्‍व युद्ध में हिटलर के आदेश पर बने गैस चैंबर आज भी जर्मनी में देखे जा सकते हैं। इन गैस चैबर्स को खासतौर पर कैदियों और खासतौर पर यहूदियों की हत्‍याओं के लिए बनाया गया था। हमबर्ग कोर्ट ने नाजियों के दौर का आखिरी मामला में ब्रूनो को मिली दो वर्ष की सजा को सस्‍पेंड कर दिया। दोषी करार दिए जाने के समय ब्रूनो अपने चेहरे को नीले रंग के फोल्‍डर से ढके व्‍हील चेयर पर मौजूद था। दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान ब्रूनो कंसेनट्रेशन कैंप में गार्ड था। ब्रूनो ने अपनी सफाई में कहा कि उसकी वहां पर मौजूदगी इस बात का सुबूत नहीं मानी जा सकती है कि इन हत्‍याओं में वो भी भागीदार था। हालांकि कोर्ट उसके इस कथन से सहमत नहीं थी। इसके जवाब में जज एएम गॉरिंग ने कहा कि इस तरह के खौफनाक मंजर के लिए कैसे अभ्‍यस्‍त हो सकते हैं। ब्रूनो को जिन आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया है वो अपराध अगस्‍त 1944 से अप्रैल 1945 के बीच हुए थे। उस वक्‍त ब्रूनो की उम्र 17 या 18 वर्ष थी। ब्रूनो ने युद्धअपराध के लिए अदालत में अपनी अंतिम गवाही में पीड़ितों को मिली की पीड़ा के लिए उनके परिजनों से माफी मांगी लेकिन इसकी जिम्‍मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया। उसने कोर्ट के समक्ष कहा कि वो उस दौर में हुए युद्ध अपराधों के लिए काफी शर्मिंदा है और उन तमाम लोगों और उनके परिजनों से माफी मांगता है जिन्‍होंने इसकी पीड़ा को झेला है। उस दौर में हुए अपराधोंं को 8 दशक चुके हैं, लेकिन जिन्‍होंने इसका दर्द सहा उनके परिजनों को आज भी न्‍याय का इंतजार है।

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