ई-कामर्स कंपनी अमेजन ने सीसीआइ को पत्र लिख कर रिलायंस-फ्यूचर रिटेल सौदे को दी गई मंजूरी को रद करने का किया आग्रह
दिग्गज ई-कामर्स कंपनी अमेजन ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) को पत्र लिखकर रिलायंस-फ्यूचर रिटेल सौदे को दी गई मंजूरी को रद करने का आग्रह किया है। अमेरिकी कंपनी ने कहा है कि सौदे को निलंबित रखने के आदेश का उल्लंघन करते हुए गलत तरीके से इसके लिए मंजूरी प्राप्त की गई थी। पिछले सप्ताह आयोग को भेजे गए पत्र के मुताबिक कानून की नजर में यह सौदा शून्य है, क्योंकि मध्यस्थ का आदेश उस समय भी लागू था।
आमने सामने तीन दिग्गज
बता दें कि फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण को लेकर दुनिया के दो सबसे अमीर व्यक्ति अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मुकेश अंबानी आमने-सामने हैं। दोनों ही भारत के एक लाख करोड़ डालर के रिटेल मार्केट पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहते हैं। इस संबंध में सीसीआइ, अमेजन और फ्यूचर समूह ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है। फ्यूचर समूह ने कहा कि मध्यस्थ द्वारा सौदे को निलंबित रखने का आदेश अवैध है।
तथ्यों को छिपाने का लगाया आरोप
हालांकि भारतीय अदालतों ने इसे पलटने से इन्कार कर दिया है। अगर नियामक अमेजन की तर्कों से सहमत होते हैं तो यह रिलायंस के लिए बड़ा झटका होगा। पिछले साल सिंगापुर स्थित मध्यस्थ ने अमेजन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सौदे पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में प्रतिस्पद्र्धा आयोग ने इसे मंजूरी प्रदान कर दी थी। अमेजन ने प्रतिस्पर्धा आयोग को ऐसे समय पत्र लिखा है जब उस पर फ्यूचर समूह के सौदे को लेकर तथ्यों को छिपाए जाने का आरोप लगाया गया गया है।
अमेजन के वकीलों ने नियमों की अवहेलना की: फ्यूचर
फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) ने रविवार को कहा कि उसका दृढ़ विश्वास है कि प्रतिस्पर्धा आयोग अमेजन को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर कानून के अनुसार कार्रवाई करेगा। स्टाक एक्सचेंजों को लिखे पत्र में एफआरएल ने कहा कि अमेजन के वकील ने ना केवल सुनवाई के दौरान नियमों की अवहेलना की बल्कि नियामक का अनादर करते हुए इस मामले पर बहस करने से इन्कार करते हुए सुनवाई से अलग हो गए।
सुनवाई रोकने की कोशिश
एफआरएल ने कहा कि 24 नवंबर को जब सुनवाई शुरू हुई तो अमेजन ने यह कहते हुए सुनवाई रोकने का प्रयास किया कि उसने 16 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की है। इसके बावजूद आयोग ने सुनवाई स्थगित करने से इन्कार कर दिया। जब अमेजन के वकीलों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया तो उन्होंने यह कहते हुए सुनवाई को पटरी से उतारने का प्रयास किया कि ई-कामर्स कंपनी को अपना पक्ष रखने के लिए उतना समय नहीं दिया गया, जितना एफसीपीएल को दिया गया।