महामहिम के स्वागत के लिए तीर्थनगरी सजकर तैयार

हरिद्वार। देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का हरिद्वार से गहरा नाता रहा है। उन्होंने यहां के लिए जो काम किए हैं, उसे लोग कभी नहीं भुला सकते हैं। आज राष्ट्रपति कोविंद एक बार फिर धर्मनगरी आए हैं। उनके स्वागत के लिए शहर सजकर तैयार है। हरिद्वारवासी पलक-पांवड़े बिछाकर महामहिम की अगवानी कर रहे हैं। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हरिद्वार स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आजीवन संरक्षक हैं। वर्ष 2002 में राज्यसभा सांसद रहने के दौरान कोविंद ने कुष्ट रोगियों के लिए दिव्य प्रेम सेवा मिशन की ओर से संचालित विद्यालय के छात्रावास में सांसद निधि से 25 लाख रुपये दिए थे। आज भी उनकी इस पहल को सराहा जाता है। उन्होंने अर्धकुंभ के दौरान मिशन की ओर से आयोजित ‘भारतीय संस्कृति के विकास में गंगा का योगदान’ विषय पर व्याख्यानमाला ‘मंथन’ में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की थी। उनकी पत्नी सविता भी समाज सेवा में जुटी हुई हैं। हरिद्वार के माधवराव देवले शिक्षा मंदिर एवं वंदेमातरम कुंज पौड़ी गढ़वाल स्थित दिव्य भारत शिक्षा मंदिर में रहने वाले एक बालक का खर्चा वह खुद उठाती हैं। 24 सितंबर 2017 को हरिद्वार पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हरकी पैड़ी पर गंगा आरती में शामिल हुए थे। उन्होंने श्रीगंगा सभा के विजिटिंग रजिस्टर में लिखा था कि परम पावन ब्रह्मकुंड हरकी पैड़ी आकर और गंगा पूजन करके मैं गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं। यहां की देखरेख, सफाई एवं नियमित रूप से गंगा आरती के आयोजन के लिए मैं श्रीगंगा सभा के पदाधिकारियों को बधाई देता हूं। वर्ष 2017 में बारिश के बीच हरिद्वार के दिव्य सेवा प्रेम मिशन पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी सादगी से सबका मन मोह लिया था। अपने इंतजार में भीग रहे बच्चों और पुलिसकर्मियों को देख वह द्रवित हो उठे। उन्होंने कहा था कि भीगने से मुझे अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं है। वह पुलिसकर्मी, जिनके पास रेनकोट नहीं हैं, छोटे बच्चे जो भीगकर मेरा इंतजार कर कर रहे हैं, उनकी चिंता है। इससे पहले राष्ट्रपति कोविंद चार अक्तूबर 2019 को भी हरिद्वार आए थे। उन्होंने पत्नी सविता कोविंद के साथ कनखल स्थित हरिहर आश्रम में पहुंचकर श्री पारदेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना और रुद्राभिषेक किया था। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि की देखरेख में उन्होंने पूजन किया था। 

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