नार्वे के समुद्र में उतरा बैटरी से चलने वाला दुनिया का पहला ई-कार्गो शिप, जाने इसकी खासियत
एक तरफ जहां धरती के बढ़ते तापमान पूरी दुनिया के लिए एक सरदर्द बनता जा रहा है और इसको कम करने की कोशिशों के तहत नए-नए सम्मलेन और समझौते हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ नार्वे ने इसके लिए एक सकारात्मक पहल की है। दरअसल, नार्वे ने दुनिया का पहला ऐसा जहाज समुद्र में उतारा है जो बैटरी से चलता है। इसकी वजह से हवा में धुएं के जरिए फैलने वाला प्रदूषण नहीं होगा बल्कि समुद्र में भी प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी। बैटरी से चलने वाले इस अपनी तरह के पहले जहाज के जरिए माल ढुलाई की जाएगी। इस जहाज को दो दिन पहले ही समुद्र में उतारा गया है। इस जहाज को बनाने का मकसद प्रदूषण पर लगाम लगाना ही है।
इस ई-कार्गो का नाम यारा बिर्कलैंड रखा गया है। इसकी सबसे खास बात यही है कि ये समुद्र में बिना किसी उत्सर्जन के अपना सफर पूरा कर सकेगा। इतना ही नहीं इसकी दूसरी सबसे बड़ी खास बात है कि इसमें कोई भी चालक दल नहीं होगा, लिहाजा ये बिना चालक दल वाला है जहाज होगा। ओस्लो तट पर जब इसको पानी में उतारा गया तो पर्यावरण प्रेमियों को भविष्य के खतरे को कम करने की आस भी बंधी है। इस जहाज को बनाने वाली कंपनी के सीईओ स्वीन टोरे होस्लथर ने इसके समुद्र में उतरने पर खुशी जताते हुए कहा कि इसको तैयार करने में कई कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ा, लेकिन इन सभी कठिनाइयों को दूर कर इसको सफलतापूर्वक समुद्र में उतारने पर सबसे अधिक खुशी उन्हें ही हो रही है।
आपको बता दें कि ये जहाज सेंसर की मदद से एक बार में 7.5 नाटिकल मील की दूरी तय कर सकता है। 80 मीटर लंबा ये जहाज 3200 डेडवेट टन वजन ढोने की क्षमता रखता है। इसको जरूरी ऊर्जा जल विद्युत से मिलती है। इसके लिए बोर्ड पर मशीन रूम को आठ बैटरी कोच से बदला गया है। इससे जहाज को करीब 6.8 मेगावाट की ऊर्जा मिलेगी और जहाज स्पीड के साथ आगे बढ़ सकेगा।
आपको बता दें कि वर्ष 2050 तक समुद्र में होने वाले प्रदूषण को करीब 50 फीसद तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी वजह से सालाना सड़कों पर डीजल से चलने वाले करीब 40 हजार ट्रक कम हो सकेंगे। इस जहाज से नाइट्रोजन आक्साइड और सीओ2 उत्सर्जन को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही सड़क सुरक्षा भी बढ़ेगी। इससे हवा में उड़ती धूल को कम करने और ध्वनि प्रदूषण में भी मदद मिलेगी