प्रधानमंत्री मोदी का जी20 देशों के विदेश मंत्रियों को संदेश, गांधी व बुद्ध की धरती के लोकाचार से लें प्रेरणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों से वैश्विक चुनौतियों के समाधान करने के लिए आपसी मतभेदों को बुलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज विकासशील देशों के सामने ऊर्जा और खाद्य संकट है। उन्हीं की आवाज को इस मंच तक पहुंचाने के लिए भारत ने वैश्विक दक्षिण पहल की शुरुआत की है। जी 20 देशों में सहमति बनाने और किसी ठोस नतीजे तक पहुंचने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बैठक गांधी और बुद्ध की भूमि पर हो रही है और वे भारत के सभ्यतागत लोकाचार से प्रेरणा लें जो हमें विभाजित नहीं करता है, बल्कि हमारा ध्यान उस ओर दिलाता है जो हम सभी को जोड़ता है।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि आज की बैठक गहरे वैश्विक विभाजन के समय हो रही है और विदेश मंत्रियों के रूप में यह स्वाभाविक है कि चर्चा भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित हो। उन्होंने कहा, “हम सभी की अपनी स्थिति और हमारे दृष्टिकोण हैं कि इन तनावों को कैसे हल किया जाना चाहिए।” लेकिन दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, हमें उनके प्रति भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए जो इस कमरे में नहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने भारत के जी20 प्रेसीडेंसी के लिए ”एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के विषय को समझाते हुए उद्देश्य और कार्रवाई की एकता पर बल दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आज की बैठक आम और ठोस उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ आने की भावना को दर्शाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास, आर्थिक लचीलापन, आपदा लचीलापन, वित्तीय स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों को कम करने के लिए दुनिया जी20 की ओर देख रही है। प्रधानमंत्री ने इस ओर ध्यान दिलाया कि आज दुनिया में बहुपक्षवाद संकट की स्थिति में है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बनी विश्व व्यवस्था ने अपने सामने दो लक्ष्यों को रखा था। पहला, प्रतिस्पर्धी हितों को संतुलित करके भविष्य के युद्धों को रोकना और दूसरा, सामान्य हितों के मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना। पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्धों को देखते हुए यह व्यवस्था दोनों उद्देश्यों को पूरा करने में विफल रही है।
उन्होंने कहा कि इस विफलता के दुखद परिणामों का सामना ज्यादातर सभी विकासशील देशों को करना पड़ रहा है और वर्षों की प्रगति के बाद दुनिया के सतत विकास पर संकट का खतरा मंडरा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया कि कई विकासशील देश अपने लोगों के लिए खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश करते समय अस्थिर ऋण से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विकासशील देश अमीर देशों के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग से सबसे अधिक प्रभावित हैं। भारत की जी20 प्रेसिडेंसी ने ग्लोबल साउथ को एक आवाज देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, “कोई भी समूह अपने फैसलों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए लोगों को सुने बिना वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता है।”
प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, “एक तरफ विकास और दक्षता और दूसरी तरफ लचीलापन के बीच सही संतुलन खोजने में जी20 की महत्वपूर्ण भूमिका है।” उन्होंने सुझाव दिया कि एक साथ काम करके इस संतुलन को और आसानी से हासिल किया जा सकता है।
संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने सामूहिक ज्ञान और क्षमता में विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज की बैठक महत्वाकांक्षी, समावेशी और कार्यवाही उन्मुख होगी जहां मतभेदों से ऊपर उठकर संकल्प किए जाते हैं।