सीएसआर की मदद से मिल रहे रोजगार के अवसर
समाजसेवा में बढ़चढ़ कर भागेदारी कर रही है श्रॉफिनिक कंपनी
नयी दिल्ली,एजेंसी। लाॅकडाउन के बाद जिन्दगी का नया तरीका अब शुरू हुआ है। बाहर निकलेंगे, तोे सामाजिक दूरी का पालन करना होगा, लेकिन यहाँ एक-दूसरे से जुड़े रहना चुनौती है। महामारी के बाद जिन्दगी के सामने कई चुनौतियां आती हैं। जो हमारे नियंत्रण में हैं, उनसेे हमें डर नहीं लगना चाहिये। श्रॉफिनिक एक एकीकृत वेंचर कैपिटल कंपनी है, जो नये उभरते भारत की आकांक्षाओं से मेल खाती है। इस कंपनी ने अलीबाग में गरीबांे के सशक्तिकरण के लियेे टाटा पावर के साथ काम किया। किसानों के कल्याण के लिये स्ट्रूजेंस बेनेवोलेन्ट फाउंडेशन के साथ गठबंधन किया। ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य पर केन्द्रित ‘हीलिंग द हील्स’ प्रोग्राम चलाया। निराश्रित बच्चियों की शिक्षा के लिये सम्पर्क फाउंडेशन के साथ गठबंधन किया। मुंबई की झुग्गियों के स्कूल जाने वाले बच्चों केे लिये यूनिफॉर्म और जूतों की व्यवस्था की।कोर इंफ्रा सेक्टर्स, जैसे विद्युत, भूमि अधिग्रहण में भारत के सबसे बड़े में सेे कुछ कॉर्पोरेट्स की सहायता करने केे बाद इस कंपनी ने समाज कोे कुछ लौटाने के उद्देश्य से सीएसआर जैसेे सामाजिक व्यवसायों के निर्माण में उद्यमियों की मदद करने के लिये जल्दी ही एक रणनीतिक कदम उठाया। श्रॉफिनिक के प्रबंध निदेशक, पुरस्कार विजेता सीएसआर विशेषज्ञ, लेखक, लघु फिल्म निर्माता व अभिनेता नरेश श्रॉफ मानते हैं कि सीएसआर और कॉर्पोरेट्स के बीच एक सकारात्मक संबंध है, जोे उत्पादनशीलता, आय और वृद्धि को गति देता है।महामारी के बाद सीएसआर को नया आयाम देनेे के प्रयास ने इस कंपनी कोे बड़ी कंपनियों की मदद से अच्छे अवसर बनाने में मदद की है। कोविड-19 महामारी दुष्परिणामस्वरूप कई दशकों बाद सबसेे बड़ी मंदी आई है। हम सभी ने सबसे कठिन समय का सामना किया है और इसमें हम कमजोर समुदायों को सहयोग देना चाहते हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने कोविड-19 से आये बदलावांे के बाद प्रयासांे कोे अधिक समावेशी और स्थायी बनाने का आह्वान किया है। भारत में कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के लियेे अपना विनियमन है। सीएसआर के क्षेत्र में अपनी अथक सेवा के साथ श्रॉफिनिक इस दिशा में काम कर रहा है कि कॉर्पोरेट्स वंचितों और ग्रामीण क्षेत्रों कोे मदद देकर समाज के कल्याण के लिये काम करें। टॉयलेट कॉरिडोर्सः महानगरांे में स्वच्छता एक बड़ी समस्या है। यह कार्यक्रम ऐसेे लोगों के लियेे रोजगारों का सृजन करेगा, जोे इन शौचालयों का प्रबंधन और रख-रखाव करेंगे। शैक्षणिक फंड्सः शिक्षा से वंचित बच्चों के लिये किताबें। शिक्षकों की प्रगति के लिये उनके लिये भी प्रशिक्षण कार्यक्रम।भूखों के लिये भोजनः इसका लक्ष्य भूख को मिटाना है। यह मॉडल लंबे समय का स्व-स्थायी रसोई घर बनाते। आर्टिसंस स्टोरः यह एक आजीविका कार्यक्रम है, जिसमें हैण्डी क्राफ्ट्स, घर पर बने साबुन, सैनिटाइजर्स, फेस मास्क, घर के बने मसाले किफायती दाम पर बेचे जाते हैं।वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन ने पुष्टि की है कि कोविड-19 के लिये सीएसआर फंड्स कोे खर्च करना एक योग्य सीएसआर गतिविधि है। अभी तो सही समय पर, सही जगह पर, यथा संभव देनेे की जरूरत है। किसी भी जानकारी के लिये shroffinc@yahoo.co.uk . nsshroffinc@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।