बद्दी में नकली दवा फैक्टरी का भंडाफोड़, नामी कंपनियों के नाम से चल रहा था गोरखधंधा
बद्दी। औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने नकली दवा फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है। गुरुवार देर रात बद्दी के धर्मपुर-साई रोड स्थित आर्य फार्मा फैक्ट्री में प्राधिकरण की टीम ने दबिश दी और न्यूट्रास्युटिकल्स की आड़ में नकली दवा निर्माण के इस गोरख धंधे का पर्दाफाश किया। उक्त फैक्टरी से भारी तादाद में नामी कम्पनीयों के नाम की दवाओं की खेप भी बरामद हुई है। इसके अलावा एक दवाओं की खेप लेकर जा रहे एक वाहन को भी कब्जे में लिया गया हैं।राज्य दवा नियंत्रक ने आर्य फार्मा को सील कर ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। बता दें कि विगत दो वर्ष के अंतराल में नकली दवा निर्माण में सलंपित दूसरी फैक्ट्री पकड़ी गई हैं। जानकारी के मुताबिक आर्य फार्मा पिछले 15 दिनों से राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण के रडार पर थी, दरअसल नकली दवा निर्माण की सूचना मिलने के बाद से कम्पनी की गतिविधियों पर नजऱ रखी जा रही थीं। जैसे ही गुरुवार शाम एक कार में दवा सप्लाई किए जाने का पता चला तो तुरन्त पुलिस की मदद से उसे पकड़ लिया गया, कार (एचआर41एल 9992) से भारी मात्रा में पार्क फार्मा के नाम से निर्मित नकली दवाएं बरामद हुई जबकि कार चालक इन दवाओं के संदर्भ में कोई लाइसेंस या दस्तावेज नही पेश कर पाया। इसके तुरंत बाद राज्य दवा नियंत्रण प्राधिकरण की टीम ने धर्मपुर से रोड स्थित फैक्ट्री पर पुलिस के सहयोग से छापेमारी की और नक़ली दवा निर्माण के गोरखधंधे का भण्डाफोड़ किया। छापेमारी शुक्रवार सुबह सात बजे तक चली, छापेमारी के दौरान फैक्टरी से मैकलोड फार्मा, पार्क फार्मा, एलवी फार्मा के नाम से अवैध रूप से निर्मित 35 हजार से ज्यादा टैबलेट और कैप्सूल बरामद हुए है। राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने बताया कि नकली दवाओं के निर्माण के लिए ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। फिलहाल कारखाने को सील कर दिया गया है और मालिक को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया गया है। एफएस एसएआई के रिकॉर्ड के अनुसार फैक्ट्री 2016 से काम कर रही थी। फैक्ट्री कब से नकली दवाएं बना रही थी, इसकी जांच की जा रही है , फिलवक्त रिकॉर्ड कब्जे में ले लिया गया है। उन्होंने बताया कि बीती रात जब छापेमारी की गई तो फैक्ट्री में केवल दो कर्मचारी काम करते पाए गए। इस मामले में एफएस एसएआई के अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी जांच के घेरे में आ गई है, क्योंकि वे इस इकाई में फ़ूड लायसेंस की आड़ में हो रहे नकली दवा निर्माण का पता लगाने में नाकाम रहे हैं।