सरिया की बढ़ती कीमतों से पीएम आवास के निर्माण कार्य पर संकट
करीब तीन सौ से अधिक निर्माणाधीन प्रधानमंत्री आवासों का निर्माण चालू वित्तीय वर्ष में पूरा होना संभव नहीं लगता। वित्तीय वर्ष समाप्ति में मात्र 24 दिन बचे हैं। ये आवास वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 के हैं। पूर्ण न हो पाने की वजह पंचायत सचिव लोहे की सरिया की कीमतों में एक सप्ताह के बीच आए 15 प्रतिशत से अधिक का उछाल बताते हैं। डीआरडीए से लाभार्थियों को आवास निर्माण की किस्त जारी होती है। परियोजना निदेशक आरपी सिंह बताते हैं कि संबंधित पंचायत सचिवों को आवास जल्द पूर्ण कराने की नोटिस दी गई है।उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष समाप्ति से पहले काम पूरा करा लिया जाएगा। पंचायत सचिवों का कहना है कि पहले लोकल सरिया की कीमत 65 हजार रुपये प्रति क्विंटल थी, वह अब बढ़ कर 80 हजार रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं बड़ी कंपनियों की सरिया की कीमत बढ़ कर 90 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच है। आवास प्लस सर्वे में इन दोनों वित्तीय वर्षों में 14 हजार 158 लाभार्थियों का चयन कर प्रधानमंत्री आवास दिया गया जिसमें से 13 हजार 800 आवास पूर्ण हो चुके हैं। ज्यादातर में लाभार्थी रहने भी लगे हैं। पर तीन सौ से अधिक के निर्माण पर सरिया की बढ़ी कीमतों का ग्रहण लग गया है। पंचायत सचिव कहते हैं लाभार्थी काे आवास निर्माण के लिए एक लाख 20 हजार रुपये मिलते हैं। आवास उससे पूर्ण होना संंभव नहीं होता।मनरेगा की मजदूरी में 14 हजार रुपये लाभार्थी को मिलते हैं। आवास का सपना पूरा करने के लिए उस धनराशि को निर्माण सामग्री खरीदने में लाभार्थी मिलाते हैं, तब उसे पूरा कराने में वे सफल होते हैं। सरिया की कीमत बढ़ने से मजदूरी की धनराशि मिलाने से भी अब उनके आवास का सपना पूरा होने की राह आसान नहीं रह गई, यह तभी संभव हो सकता है जब सरिया खरीदने के लिए अपने पास से धनराशि लगाए। इसमें से कुछ ऐसे भी लाभार्थियों के आवास शामिल हैं जिन्होंने कोरोना काल में आवास निर्माण के लिए मिली धनराशि जरूरत के हिसाब से परिवार में खर्च कर ली, इसी वजह से वह अर्द्धनिर्मित हैं।