पूर्वांचल में 2017 से भी बेहतर परिणाम भाजपा के पक्ष में आएगा : विवेक ठाकुर
साक्षात्कार) मनोज मिश्रा व एक संदेश टीम
मऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सह प्रभारी तथा बिहार के राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर ने दावा किया कि विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और विशेषकर पूर्वांचल के गोरखपुर क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में 2017 से भी बेहतर परिणाम सामने आएगा।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके बिहार के कद्दावर नेता डॉक्टर सीपी ठाकुर के पुत्र और राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर को भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उप्र का सह प्रभारी बनाकर गोरखपुर क्षेत्र के 10 जिलों की 62 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी है। इन सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए ठाकुर लगातार इन जिलों के दौरे पर हैं और वह कार्यकर्ताओं विशेष कर बूथ अध्यक्षो
की बैठकों को संबोधित कर उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं। गोरखपुर क्षेत्र के जिलों में अंतिम छठे और सातवें चरण में तीन और सात मोर्चा को मतदान होगा।
अपने पिता से संगठन और संसदीय तजुर्बे को विरासत में पाये मगध यूनिवर्सिटी के लॉ ग्रेजुएट 52 वर्षीय विवेक ठाकुर सवालों का जवाब देते वक्त अपनी हाजिर जवाबी का अहसास जरूर कराते हैं। कम समय में ही ठाकुर ने गोरखपुर क्षेत्र के राजनीति की बारीक जानकारी हासिल कर ली है और संगठन की निचली इकाई के नेताओं और पदाधिकारियों के भी नाम उनको याद हो गये हैं। उनसे हमारे संवाददाता ने मऊ ज़िला पंचायत अध्यक्ष मनोज राय के आवास पर लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के महत्वपूर्ण अंश—
सवाल- आप उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सह प्रभारी हैं, आपकी जिम्मेदारी क्या है।
जवाब- देखिए, मैं चुनाव देख रहा हूं, भाजपा की जो पूरी संरचना है उसमें छह भाग ( क्षेत्रों) में उत्तर प्रदेश बंटा है और हर भाग में संगठन के दृष्टिकोण से एक और चुनाव के दृष्टिकोण से एक प्रभारी हैं और मैं गोरखपुर क्षेत्र ( गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, मऊ, बलिया और आजमगढ़) का प्रभारी हूं।
सवाल- दस जिलों वाले गोरखपुर क्षेत्र में 2017 के मुकाबले भाजपा के पक्ष में इस बार परिणाम क्या रहेगा।
जवाब – हम पिछली बार से भी बेहतर करेंगे। गोरखपुर क्षेत्र में 62 विधानसभा सीटें हैं जिनमें पिछली बार 44 हम जीते और दो हमारे सहयोगी दल जीते थे। जिस तरह से जमीन पर उबाल है उससे लग रहा है कि पूरे उप्र में और विशेषकर पूर्वांचल में आप देखिएगा कि अद्भुत चुनाव परिणाम आएगा।
सवाल- लेकिन इस बार की चुनौतियां अलग हैं क्योंकि ऐन चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार के दो मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान सरकार पर पिछड़ों-दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाकर इस्तीफा देकर सपा में शामिल हो गये और संयोग से दोनों गोरखपुर क्षेत्र के कुशीनगर और मऊ जिले में चुनाव लड़ते हैं, इन दोनों के फैसलों का क्या असर है।
जवाब – दोनों अपनी सीट बदल चुके हैं। स्वाभाविक तौर पर वे अपने क्षेत्रों से डर गये और उनकी हालत खराब थी। स्वामी प्रसाद कुशीनगर की पडरौना सीट से विधायक थे और इस बार फाजिलनगर में तथा दारा सिंह चौहान मऊ के मधुबन से विधायक थे और इस बार घोसी सीट से उम्मीदवार हैं। दोनों अपने को बड़ा नेता दावा करते हैं, राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाते हैं तो क्षेत्र बदलने की जरूरत क्यों पड़ी।
सवाल- राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र आजमगढ़, उप्र विधानसभा में नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी का क्षेत्र (बांसडीह-बलिया), विधानसभा में बसपा के दल नेता उमाशंकर सिंह का विधानसभा क्षेत्र रसड़ा और बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर मऊ तथा उप्र कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का क्षेत्र तमकुहीराज ( कुशीनगर) भी गोरखपुर क्षेत्र में ही है तो विपक्ष के इतने दिग्गजों का गोरखपुर क्षेत्र के परिणाम पर क्या असर डालेगा।
जवाब – उत्तर प्रदेश की राजनीति का पूर्ण पैकेज गोरखपुर क्षेत्र है लेकिन यहां भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले विपक्षी दल मीलों पीछे हैं।
सवाल- भाजपा के सभी बड़े नेता इसी क्षेत्र से आने वाले मुख्तार अंसारी का नाम ले रहे हैं लेकिन मुख्तार चुनाव मैदान में नहीं हैं और अब उनका बेटा लड़ रहा है। मुख्तार को लेकर अब तक आरोप लगाते थे कि जो जनप्रतिनिधि है वह जेल में रहता है तो अब जो जनप्रतिनिधि के लिए दावेदारी कर रहा है, वह जनता के बीच में है तो कैसे मुकाबला करेंगे।
जवाब – अभी चुनाव तो हुआ नहीं, चुनाव तो होना बाकी है, अभी तो प्रचार चल रहा है, चुनाव प्रचार होने दीजिए, प्रचार प्रसार में तो कोई कमी नहीं है। आज हम कार्यकर्ताओं को संबोधित करके आये हैं और भाजपा प्रत्याशी के प्रति अद्भुत उत्साह है। यह अंतिम चरण का चुनाव है, उभरने दीजिए। वैसे भी इस मऊ जिले में चार में तीन सीटें पिछली बार भी हम लोग ही जीते थे।
सवाल- लेकिन आजमगढ़ में सिर्फ एक सीट मिली थी।
जवाब – यह सही बात है कि आजमगढ़ हम लोगों का कमजोर क्षेत्र रहा है लेकिन इस बार परसों वहां दसों विधानसभा क्षेंत्रों के संचालन समिति की बैठक करके लौटा हूं और लोगों ने बताया कि इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि आजमगढ़ में सभी दल भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। यह बहुत बड़ा उदाहरण है कि गोरखपुर क्षेत्र में क्या स्थिति है और क्या होने जा रहा है।
सवाल – आपके प्रभार वाले क्षेत्र में ही योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, क्या कहना है।
जवाब – जब घोषणा की गई थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो दुनिया अखिलेश यादव से भी पूछने लगी और उसी बाध्यता में वह भी कतराते हुए चुनाव लड़ने गये, झिझक भी पता चल गई कि अंत में उनको अपने वृद्ध पिता को भी टांग कर ( करहल -मैनपुरी) ले जाना पड़ा। इस क्रम में आप पहले सुने होंगे कि आजमगढ़ से भी चुनाव लड़ सकते हैं अखिलेश यादव लेकिन सांसद रहते हुए भी वह आजमगढ़ के किसी क्षेत्र का चयन नहीं कर सके। यह जमीनी सच्चाई बयां करती है कि उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र पर विश्वास नहीं है और वृद्ध पिताजी का सहारा लेकर चुनाव लड़ने गये।
सवाल- आपकी पार्टी ने भी अपने बहुत से उम्मीदवारों और मंत्रियों के क्षेत्र बदले हैं।
जवाब – यहां बात उम्मीदवारों की नहीं हो रही है, अखिलेश जी की हो रही है।
सवाल- भारतीय जनता पार्टी ने करीब 80 विधायकों के उप्र में टिकट काटे हैं और आपके कुशीनगर जिले में ही सभी टिकट बदल दिए तो कोई असंतोष है।
जवाब- एक बात समझिए, भाजपा बहुत ही मजबूत संगठन आधारित पार्टी है। क्षेत्रीय पार्टियों का संगठन और हमारा संगठन अलग है। भाजपा का जो कुशीनगर में संगठन मिलेगा वह केरल में भी मिलेगा। शहर से लेकर पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण हर तरफ हमारा संगठन है और संगठन ही भाजपा में चुनाव लड़वाता है, चाहे जिसका भी पार्टी चयन कर लें। इसलिए असंतोष भाजपा में कोई विषय नहीं है।
सवाल- लेकिन भाजपा में 2014 के बाद से लगातार दूसरे दलों से आने वालों को प्राथमिकता और टिकट मिलने लगा।
जवाब- आप इसको ठीक से अध्ययन करेंगे तो पांच प्रतिशत से भी ज्यादा बाहरी को भाजपा में टिकट नहीं मिलता। विस्तारीकरण एक प्रक्रिया है और विस्तारीकरण को कोई भी रोकता नहीं है। भाजपा विश्व की इतनी बड़ी पार्टी है और अगर कोई आना चाहे और योगदान कर सकता है तो स्वागत है। देश या राज्य स्तर पर अध्ययन करेंगे तो 95 प्रतिशत मूल भाजपा का ही कार्यकर्ता मिलेगा।
सवाल- भाजपा पर धार्मिक ध्रुवीकरण का आरोप लगता है। आरोप लगता है कि भाजपा मुसलमानों की विरोधी है तो इस वर्ग का विश्वास कैसे हासिल करेंगे।
जवाब – देखिए, ऐसा है कि पिछले 25-30 वर्षों में यह धारणा बनाई गई है। अगर हम अल्पसंख्यक आधारित बात करें तो ठीक और अगर बहुसंख्यक हित की बात करें तो नहीं बोलना चाहिए, लेकिन हम ऐसी धारणा को नहीं मानते हैं।
सवाल – लेकिन भाजपा ने 403 विधानसभा क्षेत्रों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं दिया।
जवाब – यह तो पार्टी का अधिकार है। हम फिर भी तो पूर्ण बहुमत की सरकार बना रहे हैं। 1984 में इंदिरा गांधी के मरने के बाद पहली बार इतनी बड़ी बहुमत की सरकार बनी है।
सवाल – लेकिन आरोप तो लगता है-
जवाब – यह आरोप कैसे हैं, आप इसको आरोप परिभाषित कर रहे हैं। हम तो इसे आरोप नहीं मानते, उनकी राय ऐसी बन रही है तो हमारी राय ऐसी है। हम सही हैं तो देश में हमें इतना समर्थन मिल रहा है। क्या उन लोगों ने मुस्लिम महिलाओं की रक्षा की। अगर मंदिर बन रहा है और मस्जिद भी सुंदर बन रहा है तो एक विवाद खत्म हो गया। सच्चाई यह है कि राजनीति करने वाले सोचते हैं कि मेरे डिब्बे में कितना विवादित विषय अभी है। हम सबकी मंशा है कि किसी भी तरह से सबकी जिंदगी ठीक से चले।
सवाल- क्या आपको लगता है कि मुस्लिम महिलाएं आपको वोट कर रही हैं।
जवाब – हमने तो देखा कि पहले चरण में ही पश्चिम में महिलाओं ने वोट दिया और क्यों न वोट दें, अगर उनके जिंदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से परिवर्तन हुआ है तो उनका समर्थन मिलना लाजमी है। प्रधानमंत्री की वजह से अगर एक महिला को छत मिला और उसकी सुखद अनुभूति हुई तो वह अपनी भावनाओं का प्रतिउत्तर तो इसी वोट से ही करेंगी। ढाई साल से अगर मुफ्त राशन कोरोना काल में मिल रहा है तो पाने वाली पात्रों में वे महिलाएं भी तो हैं। हमारे शासन प्रशासन में कोई फर्क नहीं है।
सवाल- उप्र में पिछड़ी जाति से मुख्यमंत्री बनाने का मुद्दा भी चल रहा है।
जवाब – यह तो स्वामी प्रसाद मौर्य की भाषा है। केशव प्रसाद मौर्य उप मुख्यमंत्री हैं और वे पिछड़े समाज से ही तो आते हैं। राज्य और केंद्र सरकार में मंत्रियों की सूची देखेंगे तो हर समाज का प्रतिनिधित्व है। हमारी जो छतरी है वही है सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास।