नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने सभी आरोपों को बताया गलत
आर्यन खान ड्रग्स केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े आज स्पेश एनडीपीएस कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने जज के सामने कहा कि उनपर लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं और वह जांच के लिए तैयार हैं। इस मामले में समीर वानखेड़े ने दो हलफनामे दाखिल किए गए हैं। एक एनसीबी की तरफ से और एक अपने खुद के।
साथ ही समीर वानखेड़े ने कोर्ट को बताया कि इस केस के चलते उनके पूरे परिवार को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी बहन, स्वर्गवासी मां, रिटायर्ड पिता और पत्नी को भी नहीं छोड़ा गया।
दरअसल, आर्यन खान ड्रग्स मामले की जांच कर रहे डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने हाल ही में मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने चिट्ठी में कहा है कि मुझे झूठे केस में फंसाने की रचि जा रही साजिश। समीर वानखेड़े ने चिट्ठी में दावा किया कि कुछ अज्ञात लोग मेरे खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
Drugs-on-cruise-case | Appearing before Special NDPS court, NCB Zonal Director Sameer Wankhede told the judge that he was being targeted and is ready for a probe.
Two affidavits have been filed in the case. One by NCB and one by Wankhede.
— ANI (@ANI) October 25, 2021
बता दें कि आर्यन खान ड्रग्स मामले में बड़ा ट्विस्ट तब आया जब इस केस के प्राइम विटनेस के पी गोसावी के बॉडीगार्ड ने बड़ा खुलासा किया। बॉडीगार्ड प्रभाकर सईल ने अपने हलफनामे में बताया कि एनसीबी के दफ्तर में पंचनामा पेपर बताकर खाली कागज में जबरन हस्ताक्षर कराए गए थे।
Drugs-on-cruise-case | Appearing before Special NDPS court, NCB Zonal Director Sameer Wankhede told the judge that he was being targeted and is ready for a probe.
Two affidavits have been filed in the case. One by NCB and one by Wankhede.
— ANI (@ANI) October 25, 2021
हालांकि एनसीबी ने एक वक्तव्य जारी कर इन सारे आरोपों का खंडन किया। एनसीबी ने अपने वक्तव्य में कहा है, ‘प्रभाकर सेल गवाह द्वारा एक एफिडेविट जारी किया गया है जो कि 94/2021 में गवाह हैl यह मामला सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे पास आया है। एफिडेविट में कहा गया है कि मिस्टर प्रभाकर ने 2 अक्टूबर 1921 से जुड़ी मूवमेंट और एक्टिविटी की जानकारियां दी है। जिस दिन यह क्राइम रजिस्टर्ड हुआ है। यह मामला जज के सामने हैं और मामला न्यायालय के अधीन है। उन्हें यह बात कोर्ट में जज के सामने कहने चाहिए बजाय सोशल मीडिया पर।’