जानिए कब है वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी? इस पूजा का शुभ मुहूर्त एवं इसका महत्व
हिन्दू कैलेंडर का नया माह कार्तिक प्रारंभ होने वाला है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। रात के समय में चंद्रमा की पूजा और दर्शन किया जाता है। इस दिन ही अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ भी मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। यह कठिन व्रतों में से एक होता है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं कि वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी कब है? पूजा का मुहूर्त क्या है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर को तड़के 03 बजकर 01 मिनट पर हो रहा है, जो 25 अक्टूबर दिन सोमवार को प्रात: 05 बजकर 43 मिनट तक है। ऐसे में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 24 अक्टूबर दिन रविवार को है। इस दिन ही संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा।
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 2021 पूजा मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी के दिन वीरायन योग बन रहा है, जो उस दिन 11 बजकर 35 मिनट तक है। ऐसे में वीरायन योग में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन अभिजित मुहूर्त दिन में 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक है। राहुकाल शाम 04:18 बजे से शाम 05:43 बजे तक है। ऐसे में आप वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की पूजा सुबह से दोपहर तक कर सकते हैं।
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 2021 चंद्रोदय
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा का उदय रात 08 बजकर 07 मिनट पर होगा। जो महिलाएं चतुर्थी या करवा चौथ का व्रत रखेंगी, वे इस समय पर चंद्रमा की पूजा करें और पारण करके व्रत को पूरा करें।
करवा चौथ व्रत में सुबह से व्रत रखा जाता है और रात में चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद पति के हाथों पारण कर व्रत पूरा करना होता है।