शीत गृह में भंडारित आलू फिर दे गया किसानों को दगा

फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में सर्वाधिक आलू पैदा किया जाता है। यहां के किसानों की प्रमुख जीविका आलू पर ही आधारित है। इस बार फिर किसान को आलू झटका दे गया है। आलू के दाम एकाएक गिरने से आलू किसान परेशान नजर आ रहा हैं।

जिले में गत वर्ष 42000 हेक्टेयर भूमि पर आलू की फसल पैदा की गई थी। जिसमें 12 लाख मैट्रिक टन आलू की पैदावार हुई। किसानों ने आलू तैयार होने के बाद छह लाख मैट्रिक टन आलू ओने-पौने दाम में बेच दिया और छह लाख मैट्रिक टन आलू जिले के 80 शीत गृहों में भंडारित कर दिया। शीत गृहों में भंडारित आलू की रकम किसानों को उचित नहीं मिली। आखिरी समय में आलू के भाव गिर गए, जिससे किसानों को भारी घाटा हुआ है।

प्रगतिशील किसान नारद सिंह कश्यप का कहना है कि इस समय आलू के जो भाव किसानों को मिल रहे हैं उससे उनकी लागत के दाम ही निकल रहे हैं। सीजन के वक्त आलू आठ सौ रुपये प्रति कुंतल बिका, लेकिन शीत गृह में भंडारित आलू के दाम इस समय 500 से 600 रुपये किसानों को मिल रहे हैं, जोकि बहुत कम है। किसान आलू के गिरे भाव से खून के आंसू रोने को मजबूर हो रहा है और शीत गृह में भंडारित आलू को ओने-पौने दाम में बेच रहा है।

शीतगृह एसोसिएशन के सचिव उमेश अग्रवाल का कहना है कि आलू की मांग बाहरी प्रदेशों में ना होने के कारण आलू के भाव गिरते ही जा रहे हैं। उनका कहना है कि नया आलू तैयार होने के बाद अब पुराने आलू की बिक्री कम हो गई है। मौजूदा समय में 30 फीसदी आलू शीतगृह में भंडारित है, जिसकी निकासी आज तक नहीं हो सकी है। किसान आलू के भाव गिरने से निकासी नहीं कर रहा है।

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