पंजाब में बिजली कंपनियों से समझौतों को लेकर जमकर हो रही सियासत, CM को दी रद करने की चुनौती
Punjab Power Agreements: पंजाब में बिजली संकट के साथ ही मंहगी बिजली दरों को लेकर बवाल मचा हुआ है। शिअद-भाजपा सरकार केे समय निजी बिजली कंपनियों से हुए समझौतों को लेकर जमकर सियासत हो रही है और इनको रद करने की मांग हो रही है। इन सबके बीच शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल इन समझौतों के पक्ष में खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनौती दी है कि इन समझौतों को रद करके दिखाएं।
सुखबीर बादल ने पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान निजी थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौते को लेकर कांग्रेस और आप के हमलों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हो या आम आदमी पार्टी या अन्य नेता सभी राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं। हकीकत यह है कि पंजाब में बिजली संकट के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ही जिम्मेदार हैं।
सुखबीर बोले- कैप्टन सरकार में हिम्मत हो तो प्राइवेट थर्मल प्लांटों से हुए समझौते रद्द करे
सुखबीर ने कहा कि 2017 में जब सरकार बदल गई थी तो पंजाब में 12,500 मेगावाट बिजली की मांग थी और उत्पादन 13,000 मेगावाट था। इसके विपरीत साढ़े चार साल बाद मांग 14,500 मेगावाट हो गई है और बिजली का उत्पादन घट गया है।
कहा, पंजाब में बिजली संकट के लिए मुख्यमंत्री ही जिम्मेदार
सुखबीर ने कैप्टन को चुनौती दी कि अगर वह हिम्मत रखते हैं और अगर गठबंधन सरकार के दौरान गलत समझौते हुए हैं तो उन्हें रद करके उन पर (सुखबीर पर) केस दर्ज करवा दें। लेकिन, इससे पहले कैप्टन को पंजाब के लोगों को यह बताना होगा कि 4,500 मेगावाट के समझौते रद करने के बाद यह बिजली कहां से लाएंगे।
गठबंधन सरकार ने किए थे सबसे सस्ते बिजली खरीद समझौते, प्रारूप को मनमोहन सरकार ने दी मंजूरी
सुखबीर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी आरोप लगाए कि वह भी बिजली कंपनियों के साथ किए गए समझौते को रद करने की बात करते थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। सुखबीर ने दावा किया उनकी सरकार ने सबसे सस्ते बिजली समझौते किए थे। इन समझौतों का प्रारूप भी तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह सरकार की ओर से तय किया गया था।
सुखबीर ने आगे कहा कि 2007 में जब कैप्टन की सरकार गई थी तब राज्य में बिजली का उत्पादन 6000 मेगावाट और मांग 9000 मेगावाट थी। सरकार चाह कर भी बिजली खरीद नहीं कर सकती थी क्योंकि सारे ट्रांसमिशन लाइन ओवर लोड थे। पंजाब सरकार को अपने थर्मल प्लांट लगाने के लिए 22,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी और 5000 करोड़ रुपये ट्रांसमिशन के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए चाहिए थे। उस समय निजी थर्मल प्लांटों से समझौते किए गए।
उन्होंने कहा कि तलवंडी साबो का समझौता 2.86 रुपये और राजपुरा का समझौता 2.89 रुपये प्रति यूनिट पर हुआ। यह देश का सबसे सस्ता बिजली खरीद समझौता था। उन्होंने कहा कि अब थर्मल प्लांटों से 4.75 रुपये प्रति यूनिट बिजली मिल रही है। सरकार में अगर हिम्मत है तो वह समझौते रद कर दे, अकाली दल इसका विरोध नहीं करेगा।
सरकारी प्लांट को भी देना पड़ता है फिक्स चार्ज
सुखबीर ने कहा कि फिक्स चार्ज को लेकर शोर मचाया जा रहा है। यह चार्ज तो सरकारी थर्मल प्लांट बंद रहने पर भी देना पड़ता है। राजपुरा थर्मल प्लांट को 1.54 रुपये और तलवंडी साबो थर्मल प्लांट को 1.50 रुपये प्रति यूनिट फिक्स चार्ज दिए जाते हैं जबकि सरकारी प्लांट का फिक्स चार्ज 2.35 रुपये है।
उन्होंने कहा कि पावरकाम ने पांच साल में सरकारी प्लांटों को 7000 करोड़ रुपये फिक्स चार्ज का भुगतान किया है। सुखबीर ने कहा कि अगर हमने अपनी सरकार के समय 5000 करोड़ रुपये खर्च करके इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत न किया होता अब कैप्टन सरकार चाह कर भी बाहर से बिजली नहीं खरीद सकती थी।