ट्रेनों की चपेट में आने से हर साल जाती हैं 10 हजार जानें

नयी दिल्ली, 20 अगस्त
रेलगाड़ियों की चपेट में आकर या ट्रेनों से गिरकर देश में हर साल औसतन 10 हजार यात्रियों की जान चली जाती है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने आज एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में एक प्रशन के उत्तर में कहा कि पिछले साल ट्रेन दुर्घटना में किसी भी यात्री की जान नहीं गई जो सुरक्षा के मामले में एक बड़ी उपलब्धि है। यात्री डिब्बों में सुधार, बेहतर सिंगनलिंग प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, पटरियों की मरम्मत और मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त कर यह उपलब्धि हासिल की गई है। इसके बावजूद पिछले तीन साल में ट्रेनों की चपेट में आकर या ट्रेनों से 29 से 30 हजार लोगों की जान जा चुकी है।
श्री यादव ने स्पष्ट किया कि कई मौकों पर लोग अवैध तरीके से रेलपटरियाँ पार करते समय या पटरियों पर चलते समय ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं। इस कारण उन्हें अपनी जान गँवानी पड़ती है।
रेलवे ने संवाददाता सम्मेलन के बाद जारी एक बयान में बताया कि इस तरह के हादसों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। आम लोगों तथा यात्रियों की असावधानी से ये दुर्घटनायें होती हैं। उसने बताया कि हर साल आठ अरब लोग भारतीय रेल में सफर करते हैं। इसके बावजूद पिछले साल रेल दुर्घटना में किसी भी यात्री की मौत नहीं होना बड़ी उपलब्धि है।

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