विस्थापितों को चार गुना मुआवजा दे सरकार, वरना आंदोलन :टिकैत
हिमाचल : विस्थापन का दंश झेल रहे कई लोग अभी भी मुलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। वहीं, सरकार की ओर से मुआवजे के नाम पर विस्थापितों से छलावा किया जा रहा है। सरकार को प्रभावितों, विस्थापितों को सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान करना चाहिए, ताकि विस्थापितों, प्रभावितों को सुविधा मिल सके। अन्यथा आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा। यह बात बिलासपुर में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कही।उन्होंने कहा कि अग्रिपथ योजना का देश भर में विरोध किया जाएगा। इसके लिए पूरे देश में 24 जून को जिलों के जिलाधीशों के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजे जाएंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि दशकों से विस्थापन का दंश झेल रहे भाखड़ा विस्थापितों को सुविधाओं के नाम पर ठगा गया है। प्रदेश में अभी तक जो उद्योग या बड़े प्रोजेक्ट लगे, उनसे यहां के किसानों को विस्थापन के लाभ नहीं मिले। भाखड़ा डैम बनने से विस्थापित हुए हजारों किसानों के साथ भी ऐसा ही अन्याय हुआ है। दशकों पूर्व भी विस्थापित, किसान सुविधाओं से महरूम थे। इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा के हिमाचल राज्य अध्यक्ष अनेंद्र सिंह नौटी, स्थानीय किसान नेता जितेंद्र चंदेल, अनुज, अधिवक्ता होशियार सिंह ठाकुर व ग्लोबल ज्यूरिस्ट संस्था के प्रदेशाध्यक्ष अधिवक्ता रजनीश शर्मा मौजूद रहे। उधर, मंडी सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हिमाचल के किसानों के हितों की लड़ाई किसान संघर्ष संयुक्त मोर्चा हिमाचल से लेकर दिल्ली तक लड़ेगा।हिमाचल भ्रमण के दौरान वह हिमाचल के किसानों की परेशानियों को जानने समझने के बाद संयुक्त मोर्चा की ओर से एक ड्रॉफ्ट तैयार कर राज्य सरकार से वार्ता की जाएगी। इसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से किसानों का हक मांगा जाएगा। अगर सरकार ने प्यार से किसानों की बात मानी तो ठीक है, अगर नहीं मानी तो फिर हिमाचल में किसान आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि बल्ह में प्रस्तावित एयरपोर्ट को बल्ह के बजाय कहीं और बनाया जाए। एयरपोर्ट के लिए बल्ह की उपजाऊ भूमि को बर्बाद नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि रेलवे और फ ोरलेन के लिए जहां पर भी किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार चार गुणा मुआवजा दिया जाए। यह भी सर्वे किया जाएगा कि पूर्व में बनी जल विद्युत परियोजनाओं की वर्तमान में हालत क्या है, उनकी वजह से विस्थापित हुए किसानों को मुआवजा मिल पाया है। उनका पुनर्वास और पुनस्र्थापन हुआ है या नहीं।