धर्म उपदेश है आदेश नहीं : सुरेन्द्र कुमार एडवोकेट

गाजियाबाद। लायक हुसैन। जिस धार्मिक व्यवस्था में मानव जीवन और उसके शारीरिक मानसिक, सामाजिक आर्थिक राजनीतिक व वैचारिक स्वतंत्रता का विकास, समता समानता स्वतंत्रता और सत्य न्याय प्रमाण पर आधारित,जायज और नैतिक मूल्यों की सुरक्षा नहीं।जिस धर्म में मानवता और मानवता का विकास नहीं वह धर्म नहीं हो सकता? धर्मांतरण नियंत्रण कानून व्यक्ति की संविधान प्रदत्त शारीरिक मानसिक आर्थिक राजनीतिक स्वतंत्रता को छीन सकता है?धर्मांतरण नियंत्रण कानून देश में देश व्यक्ति की संविधानिक सुरक्षा को आस्था और विश्वास के नाम पर सत्य न्याय और ऐतिहासिक रूप से प्रमाणिक, वैज्ञानिक विचारधारा की हत्या कर राजनेतिक लाभ के लिए देश के आपसी भाईचारा को सविधान विरूद्ध देश की एकता और अखंडता को खंडित करने का राजनैतिक हथियार बन सकता है?संविधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए और संविधानिक मूलाधिकारों से संरक्षित साविधानिक वैचारिक स्वतंत्रता, मानवीय विकास के लिए धर्मांतरण नियंत्रण कानून सबसे हानिकारक साबित हो सकता है? जहां धर्मगुरु नहीं, धर्म के नाम पर धंधा गुरू, देश के सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक मानवीय संसाधनों को नियंत्रित करने के लिए साम्राज्यवादी पूंजीवादी पाखंडवादी शक्तियों की कठपुतली बनकर मायावी तिलिस्मी और काल्पनिक कथा कथानक साहित्य कथाओ के नायकों पर आधारित धार्मिक साहित्य पोषित कर आस्था और विश्वास के नाम पर व्यक्ति की शारीरिक मानसिक वैचारिक, सामाजिक आर्थिक राजनीतिक गुलामी में कैद कर देश के साधनों संसाधनों मानवीय संसाधनों पर नियंत्रण करने का षड्यंत्र किया जाता है।

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