ओटीटी ने हमें बहुत नाम और पहचान दी है- निकितिन धीर
सच्ची घटनाओं पर आधारित रक्तांचल 2, नौ एपिसोड का पॉलिटिकल ड्रामा है, जिसकी पृष्ठभूमि में बदले, विश्वासघात और सत्ता के खेल की कहानी है, जो चार किरदारों – रमानंद राय (आशीष विद्यार्थी), विजय सिंह (क्रांति प्रकाश झा), वसीम खान (निकितिन धीर) और सरस्वती देवी (माही गिल) के इशारे पर चलती है। रितम श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी ‘रक्तांचल 2’ में करण पटेल और सौन्दर्या शर्मा भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह 90 के दशक के शुरुआती वर्षों की कहानी है, जब उत्तर प्रदेश की राजनीति के समीकरण बदलने वाले थे। रक्तांचल 2, में वसीम खान की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे निकितिन धीर शो और अन्य बिंदुओं पर खास बातचीत हुई।
आपने वसीम खान का किरदार कैसे चुना?
जवाब- जब मुझे वसीम खान का रोल ऑफर किया गया, तो मुझे यह काफी पसंद आया। मुझे नहीं लगता कि विजय सिंह के रोल के लिए किसी और ने क्रांति से बेहतर काम किया होता। मुझे लगा कि मैं वसीम खान के रोल के साथ न्याय कर पाऊंगा – उसकी कदकाठी, उसकी ताकत, उसके डायलॉग्स, उसका जुनून, आदि। हम दोनों अपनी-अपनी खूबियों के हिसाब से रोल निभा रहे हैं।
आपने उत्तर प्रदेश की भाषा कैसे अपनाई और इसके लिए आपको कितना वक्त लगा?
जवाब- मैं मुंबई में पला बढ़ा हूं, इसलिए उस बोली को अपनाना और ऐसे शब्द बोलना काफी चैलेंजिंग था, जिनका इस्तेमाल मैंने पहले कभी नहीं किया है। लेकिन लेखकों और बाकी कलाकारों की मदद से मैं इसे सही तरीके से कर पाया।
वसीम और विजय दोनों दमदार किरदार हैं, क्या आपको लगता है कि यदि इनमें से कोई एक नहीं होता, तो ये कहानी अधूरी होती?
जवाब- इस सीरीज में यदि विजय ना होता, तो ये कहानी बिल्कुल सीधी सपाट होती। इस सीरीज में उन दोनों में एक दूसरे के प्रति जो गुस्सा और दुश्मनी है, वही रक्तांचल का असली सार है। इन दोनों के समीकरण ही इस सीरीज को आगे बढ़ाते हैं, जहां एक अपनी मर्जी से बाहुबली बनता है, जबकि दूसरे को मजबूरी में बनना पड़ता है।
क्या आपको अपने पिता की वजह से कुछ ज्यादा तरजीह मिली?
जवाब- जी नहीं, मुझे अपने पिता या दादाजी की वजह से कभी कोई तरजीह नहीं मिली। सिनेमा के प्रति मेरा प्यार ही एकमात्र विरासत है, जो मुझे उनसे मिली। और मेरे लिए कभी कोई प्लान बी नहीं था।
आप ओटीटी प्लेटफॉर्म को किस तरह एंजॉय कर रहे हैं?
जवाब- ओटीटी ने हमें बहुत नाम और पहचान दी है। यह देखकर अच्छा लगता है कि लोग आपको आपके काम के लिए पहचानते हैं। ओटीटी एक कमाल का प्लेटफाॅर्म है, क्योंकि यह आपको रोजगार देता है और लोगों से मिलने, अपनी काबिलियत को ज्यादा आजमाने और ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंच बनाने के लिए एक अलग जरिया देता है।
आपकी एक दूसरे के साथ ऑफ-स्क्रीन बॉन्डिंग कैसी है?
जवाब- महामारी की वजह से शूटिंग के बाद बहुत-सी यूनिट्स एक दूसरे के साथ वक्त ही नहीं गुजार पाती हैं। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि कलाकारों में से किसी को भी ईगो की समस्या नहीं है। हम बहुत अच्छे-से एक दूसरे से घुलमिल जाते हैं। लेकिन वेब सीरीज में कुछ अलग ट्रैक और घटनाएं होती हैं। इसलिए विजय और वसीम इतनी आसानी से नहीं टकरा पाते। ऐसे में हम दोनों के साथ में बहुत कम ही ट्रैक होते थे।