डायबिटीज़ से लेकर हाई बीपी जैसी कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है मोटापा
नई दिल्ली I खराब लाइफस्टाइल और खानपान की आदत मोटापा बढ़ने की सबसे प्रमुख वजहें हैं जिस पर वक्त रहते कंट्रोल न किया जाए तो आगे चलकर शरीर कई सारी बीमारियों का घर बन सकता है। मोटापे का सबसे ज्यादा असर हमारे हार्ट और हार्ट की धमनियों (आर्टरीज़) पर पड़ता है। इसके अलावा मोटापे से इंसुलिन हार्मोन भी प्रभावित होता है। तो मोटापे से किन बीमारियों का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, आज इसी के बारे में जानेंगे।
1. उच्च रक्तचाप
ब्लड प्रेशर यह मापता है कि आपकी बड़ी रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर ब्लड कितनी जोर से प्रेशर डालता है। अगर यह प्रेशर बहुत ज्यादा है, तो यह आपकी धमनियों और आपके दिल पर भी दबाव डालता है, जिससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
2. हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
शरीर का वज़न ज़्यादा होने से बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल में बढ़ने लगता है और गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल घटने लगता है इसलिए ज़रूरी है वजन कंट्रोल में रखना। पैकेट, जंक और प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा सेवन बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा। इनमें सैचुरेटेड और ट्रांस दोनों ही फ़ैट की मात्रा ज़्यादा होती है। जिस वजह से लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल मतलब ख़राब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है।
3. टाइप 2 डायबिटीज
मोटापे से बॉडी में फैटी एसिड का लेवल बढ़ जाता है जिससे इंसुलिन हार्मोन का स्त्राव बाधित होता है। जिससे टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा बढ़ जाता है। टाइप 2 डायबिटीज़ के लक्षण बहुत ही हल्के होते हैं और ये धीरे-धीरे विकसित होते हैं। बहुत ज्यादा प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना इसके आम लक्षण हैं। लेकिन खानपान और वजन को कंट्रोल में रखकर काफी हद तक इस समस्या से बचा जा सकता है।
4. स्लीप एपनिया
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नींद से जुड़ा एक ब्रीदिंग डिसऑर्डर है। जिसमें सोते समय बार-बार सांस रुकती और चलती रहती है। व्यक्ति की सांस कब रुक जाती है इसका उसे एहसास नहीं होता। कुछ सेकंड्स से लेकर एक मिनट तक सांस रूकी रह सकती है जो खतरनाक हो सकता है।
5. अर्थराइटिस
बहुत ज्यादा मोटापे की वजह से पैर शरीर का भार सहन नहीं कर पाते, जिससे घुटनों के जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। चलने-फिरने में बहुत ज्यादा प्रॉब्लम होती है। ऐसा माना जाता है कि मोटे लोगों में फैट टिश्यू, लेप्टिन नामक हार्मोन बनाने का काम करते हैं, जो कार्टिलेज मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है और यही अर्थराइटिस की वजह बनता है।