महाराष्ट्र: अमरावती, नंदरबार जिलों में कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी

नयी दिल्ली, 20 अगस्त
महाराष्ट्र के अमरावती और नंदरबार जिलों में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या में एक साल के दौरान 7.4 प्रतिशत की कमी आई है।
यह खुलासा डेटॉल बीएसआई-पोषक भारत कार्यक्रम के माध्यम से हुआ है। कार्यक्रम का एक साल पूरा होने के बाद सामने आये नतीजों में महाराष्ट्र के अमरावती और नंदरबार जिलों में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या में 7.4 प्रतिशत की कमी आई है। पहले 10 महीनों में इस कार्यक्रम से एक से पांच साल आयु वर्ग के 6500 बच्चों की जिंदगी 41 सामुदायिक पोषण कार्यकर्ताओं की मदद से बचाई गई। सस्टेनेबल स्क्वायर द्वारा किए गए एक स्वतंत्र आकलन में सामने आया कि बीएसआई पोषक भारत कार्यक्रम में निवेश किए गए प्रत्येक एक रुपये के लिए 36.90 रु. मूल्य का सामाजिक महत्व प्राप्त होता है।
यह पाँच वर्षीय कार्यक्रम शिशु की जिंदगी के पहले 1000 दिनों के दौरान डिजिटल एवं कृत्रिम सतर्कता पर आधारित अभिनव मॉड्यूल्स द्वारा सहयोग देने के लिए डिज़ाईन किया गया, जिससे महाराष्ट्र के अमरावती एवं नंदरबार में गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत, स्वास्थ्य व पोषण का स्तर मजबूत हो सके।
रेकिट बेंकाईज़र हैल्थ के दक्षिण एशिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गौरव जैन ने गुरुवार को कहा, ‘‘उचित पोषण एवं स्वच्छता सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं और छोटे बच्चों व माताओं को सशक्त बनाने के सबसे महत्वपूर्ण अस्त्र हैं। महाराष्ट्र में कुपोषण के अत्यधिक मामलों को देखते हुए अमरावती एवं नंदरबार भारत योजना के साथ साझेदारी में पोषक भारत कार्यक्रम चलाए जाने के लिए पहला स्थान बने। इस पाँच वर्षीय कार्यक्रम का उद्देश्य प्रभावित समुदायों में गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों की सेहत, स्वास्थ्य व पोषण में सुधार करना है।’’
इस अभियान की सराहना करते हुए भारत योजना के कार्यकारी निदेशक मुहम्मद आसिफ ने कहा, ‘‘ पोषक भारत कार्यक्रम ने सरकार,कंपनियों एवं सिविल सोसायटी के सहयोगात्मक कार्यों के महत्व पर प्रकाश डाला है ताकि ग्रामीण समुदायों में कुपोषण एवं अल्पपोषण की समस्याओं का समाधान किया जा सके। इस कार्यक्रम से मिली सीख और परिणामों को समझदारीपूर्वक प्रसारित किया जाना चाहिए ताकि विकास का काम करने वाले अन्य लोग इसका लाभ उठा सकें। रेकिट बेंकाईज़र एवं इसके साझेदारों का यह अभियान कोविड-19 महामारी से जनस्वास्थ्य पर छाए संकट को दूर करने के राष्ट्रीय प्रयासों में सहयोग कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस साझेदारी के लिए आरबी के आभारी हैं, जिससे कम सुविधाओं वाले समुदायों में जनस्वास्थ्य एवं पोषण को मजबूत करने के जीवनरक्षक और बचाव उपायों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।’’
पिछले एक साल में कार्यक्रम के तहत स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर यात्रा करने वाले न्यूट्रिशन चैंपियंस का एक कार्यबल बनाया, जिन्हें ‘कम्युनिटी न्यूट्रिशन वर्कर्स (सीएनडब्लू)’ कहा जाता है। इन कार्यकर्ताओं को जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों, बाल रोग विशेषज्ञ, गायनोकालिजस्ट्ह एवं सामुदायिक विकास विशेषज्ञों द्वारा गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। इन्हें अच्छे पोषण के बेहतरीन नियमों के बारे में शिक्षित किया जाता है।
यह कार्यक्रम माता एवं शिशु के स्वास्थ्य पर केंद्रित है। इससे जुड़ी हर चीज इन सामुदायिक पोषक कार्यकर्ताओं को सिखाई जाती है। उन्हें बताया जाता है कि जच्चा की देखभाल के लिए क्या सावधानियां रखी जाएं, उनका आहार क्या हो। उन्हें स्तनपान के बारे में सिखाया जाता है, जन्म के शुरुआती घंटों में स्तनपान के महत्व के बारे में बताया जाता है। नवजात शिशु के लिए केवल स्तनपान के लिए कहा जाता है, तथा बच्चों को दिए जाने वाले आहार के बारे में बताया जाता है, ताकि उसे कुपोषण से बचाया जा सके।
अगले चार सालों में यह कार्यक्रम 1000 गांवों में कुपोषित बच्चों की 1,77,000 माताओं तक पहुंचेगा। इसका उद्देश्य पांच साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चों की संख्या में 40 प्रतिशत की कमी लाना तथा बच्चों का बचपन छिन जाने के मामलों को पांच प्रतिशत के नीचे ले जाना है।
भारत योजना की जमीनी विशेषज्ञता समुदायों तक एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से पहुंचने में मदद कर रही है। साझेदार संगठन भी पोषक कार्यकर्ताओं को सरल संवादात्मक माध्यम से सहयोग कर रहे हैं, जो कुपोषण और स्वच्छता पर प्रभावशाली संदेश देते हैं ताकि समाज में व्यवहारात्मक परिवर्तन आए। भारत योजना की अधिक जानकारी डब्ल्यू डब्ल्यूडब्ल्यूडाटप्लानइंडियाडाटओआरजी से हासिल की जा सकती है।

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